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श्रीमद्भागवत कथा: ईश्वर की नित्य लीला में प्रवेश का दिव्य माध्यम – आचार्य आशुतोष पाण्डेय जी महाराज



खीरी प्रयागराज,
ग्राम देवरी कला में इन दिनों अध्यात्म और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। यहां श्रीरुद्रमहायज्ञ एवं श्रीमद्भागवत कथा का भव्य आयोजन चल रहा है, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिदिन सहभागिता कर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं। यह दिव्य अनुष्ठान ग्रामीण वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर कर रहा है।

यज्ञ का विधिवत संचालन लालापुर स्थित मनकामेश्वर मंदिर से पधारे पूज्य आचार्य श्री राजेश्वरानंद जी महाराज के पावन सान्निध्य में संपन्न हो रहा है। वहीं, श्रीमद्भागवत कथा का अमृतमय वाचन आचार्य आशुतोष पाण्डेय जी महाराज कर रहे हैं, जिनकी वाणी में श्रोताओं को भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की त्रिवेणी का अनुभव हो रहा है।

कथा के दौरान आचार्य श्री ने श्रीमद्भागवत महापुराण की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा, "यह कथा न केवल जीव को मोक्ष प्रदान करती है, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण की नित्य लीला में प्रवेश का अधिकारी भी बनाती है।" उन्होंने स्पष्ट किया कि भगवान की दो प्रकार की लीलाएँ होती हैं – व्यावहारिक लीला, जो अवतार काल में प्रकट होती है, और नित्य लीला, जो आज भी वृंदावन में निरंतर चल रही है। श्रीमद्भागवत कथा श्रोताओं को वह आध्यात्मिक पात्रता प्रदान करती है, जिससे वे भगवान की इस दिव्य नित्य लीला में सहभागी बन सकें।

उन्होंने यह भी बताया कि भगवान वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत महापुराण उनकी अंतिम और सर्वश्रेष्ठ कृति है, जिसे पुराण सम्राट की उपाधि प्राप्त है।

इस पावन आयोजन में ग्राम देवरी के समस्त ग्रामवासी श्रद्धा और सेवा के साथ सहभागिता निभा रहे हैं। प्रमुख रूप से राजेन्द्र प्रसाद मिश्र, रमाशंकर मिश्र, हौसला प्रसाद मिश्र, लालू मिश्र, जयकृष्ण द्विवेदी, मिथिलेश कुमार द्विवेदी, पिंकू भाई सहित कई श्रद्धालु आयोजन को सफल बनाने में जुटे हैं।

यह आध्यात्मिक आयोजन न केवल ग्रामवासियों के लिए एक पर्व है, बल्कि सम्पूर्ण क्षेत्र को भक्तिरस और आध्यात्मिक चेतना से अभिसिंचित कर रहा है।

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