
बोधगया में बौद्ध भिक्षुओं ने पारंपरिक तरीके से की धान की रोपनी
लाओस, वियतनाम व थाईलैंड के 35 भिक्षुओं ने किया श्रमदान
बोधगया के वट लाओस बौद्ध मठ परिसर में रहने बौद्ध भिक्षुओं ने गुरुवार को पारंपरिक तरीके से धान की रोपनी की। बौद्ध मठ में रहने वाले लाओस, वियतनाम और थाईलैंड के करीब 35 बौद्ध भिक्षुओं ने परिसर के करीब एक एकड़ खेत में स्टिकी राइस (चिपचिपा चावल) को रोपा। स्टिकी राइस विशेष रूप से लाओस की पारंपरिक भोजन संस्कृति से जुड़ा हुआ है। जिसके पिछले कुछ वर्षों से यहां खेती होती आ रही है। मठ के भिक्षु प्रभारी भंते साईसाना बौद्धवोंग ने बताया कि रोपनी से पहले खेत में बिछड़ा तैयार किया गया था। अब मोरी बनाकर उसमें धान के पौधे लगाए गए हैं। यह पूरी प्रक्रिया श्रमसाध्य और पारंपरिक होती है। जिसमें मशीनों की जगह हाथों से काम किया जाता है। स्टिकी राइस में सामान्य चावल की तुलना में अधिक स्टार्च होता है। जिससे इसकी बनावट अधिक चिपचिपी और गाढ़ी हो जाती है। यह चावल लाओस, थाईलैंड और वियतनाम में खास महत्व रखता है। इन देशों में इसे उबालने के बाद हाथों से खाया जाता है और पारंपरिक सॉस या डिपिंग सॉस के साथ परोसा जाता है।