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ऋषिकेश और हरिद्वार में नकली दवाओं पर एफडीए की बड़ी कार्रवाई, पांच फर्मों के लाइसेंस रद्द की संस्तुति

खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन की क्विक रिस्पांस टीमों ने की छापेमारी;

जन औषधि केंद्रों सहित नौ प्रतिष्ठानों पर गंभीर अनियमितताएं उजागर, दो पर तत्काल बिक्री पर रोक

Report: Kedar Singh Chauhan 'Pravar'
देहरादून। उत्तराखंड में नकली और सब-स्टैंडर्ड दवाओं के खिलाफ प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान के तहत एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया। गुरुवार को खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की क्विक रिस्पांस टीमों ने ऋषिकेश और हरिद्वार में नौ औषधि विक्रेता फर्मों पर औचक छापेमारी की। इस दौरान जन औषधि केंद्रों सहित कई प्रतिष्ठानों में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं, जिनके आधार पर पांच प्रतिष्ठानों के लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति की गई है जबकि दो फर्मों पर तत्काल दवा बिक्री पर रोक लगा दी गई है।

एफडीए आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार द्वारा गठित क्विक रिस्पांस टीमों ने लगातार छापेमारी अभियान चलाकर इस नेटवर्क का भंडाफोड़ किया। गुरुवार को ज्वालापुर और कनखल क्षेत्र के चार जन औषधि केंद्रों और एक अन्य दवा विक्रेता के यहां गड़बड़ियां पाई गईं। इन प्रतिष्ठानों के लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति करते हुए उनके क्रय-विक्रय पर तत्काल रोक लगा दी गई है।

इसके अतिरिक्त ऋषिकेश क्षेत्र के नेपाली फार्म और आसपास के क्षेत्रों में स्थित दो औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों में भी अनियमितताएं पाई गईं। इन पर भी तत्काल प्रभाव से दवा क्रय-विक्रय रोकने का आदेश दिया गया और स्पष्टीकरण मांगा गया है।

एफडीए की इस छापेमारी में सहायक औषधि नियंत्रक डॉ. सुधीर कुमार के नेतृत्व में वरिष्ठ औषधि निरीक्षक अनिता भारती, औषधि निरीक्षक मानेंद्र सिंह राणा, विनोद जगुड़ी, हरीश सिंह, निधि रतूड़ी काला और मेघा शामिल रहीं।

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