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सिमोरी की बहनें, पेड़ों को बांधती हैं राखी पेड़ों की रक्षा का लिया संकल्प, बांधी 79 फीट लंबी राखी, सैनिकों का ताप्ती जल से किया सम्मान

हर रक्षाबंधन पर जंगल की ओर जाती हैं ग्राम सिमोरी की बहनें, पेड़ों को बांधती हैं राखी
पेड़ों की रक्षा का लिया संकल्प, बांधी 79 फीट लंबी राखी, सैनिकों का ताप्ती जल से किया सम्मान

बैतूल।- ग्राम सिमोरी में इस बार रक्षाबंधन का पर्व सिर्फ भाइयों के कलाई पर नहीं, जंगल के पेड़ों की रक्षा के संकल्प के साथ मनाया गया। 79 फीट लंबी विशाल राखी के साथ शोभायात्रा निकाली गई और जंगल में जाकर पेड़ों को राखी बांधकर पर्यावरण सुरक्षा का संदेश दिया गया। कार्यक्रम की शुरुआत शहीद अमृतादेवी विश्नोई और भारत माता तथा बिरसा मुंडा के चित्रों पर माल्यार्पण के साथ की गई।
कार्यक्रम में मौजूद सिमोरी की बहनों ने बताया कि वे हर वर्ष जंगल जाकर पेड़ों को राखी बांधती हैं, क्योंकि पेड़ उनके ऐसे भाई हैं जो जीवनभर बिना कुछ मांगे छांव, हवा और फल देकर रक्षा करते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग जहां पेड़ काटते हैं, वहीं हम पेड़ लगाकर रक्षा करते हैं, यही हमारा धर्म है, यही हमारा त्योहार है।
कार्यक्रम में विशेष रूप से भूतपूर्व सैनिक सुरेश यादव, दुलारेराम खाड़े, देवशंकर चौधरी, सुदामा सूर्यवंशी, नरेश अनघोरे, हरीश राठौर, जगदीश गड़ेकर का ताप्ती जल से पैर पखारकर, आरती उतारकर, साल, श्रीफल और फूलमाला से सम्मान किया गया। पूर्व महामंत्री संतोष बडौदे, सरपंच रामप्रसाद इवने, पिंटू ओजोने, पिंकी भाटिया, दीप मालवीय, निमिष मालवीय, डॉ सागर बिँझाड़े, सचिव बलराम पवार की उपस्थिति में यह सम्मान कार्यक्रम अत्यंत भावनात्मक रहा।
- रैली निकाल कर हर घर तिरंगा अभियान का दिया संदेश
इस अवसर पर तिरंगा यात्रा भी निकाली गई, जिसमें हाथों में राष्ट्रीय ध्वज लेकर ‘हर घर तिरंगा’ अभियान का संदेश देते हुए जय जवान, जय किसान के नारे गूंजे। इस यात्रा में स्कूली बच्चों ने भी उत्साह से भाग लिया। बच्चों ने अपने हाथों से बनाई गई राखियां जंगल में पेड़ों को बांधकर उनकी रक्षा का संकल्प लिया। कार्यक्रम में किरण धुर्वे, सीमा वरकड़े, कविता धुर्वे, सपना वरकड़े, बसंती बाई, रामकली धुर्वे, शर्मिला बेले, रुकमणी बडौदे, सेवंती पंद्राम, कमला धुर्वे सहित बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित रहे।
- ताप्ती आनंद क्लब और इको क्लब की पहल
ताप्ती आनंद क्लब और इको क्लब के माध्यम से यह आयोजन प्रतिवर्ष किया जा रहा है। इस अवसर पर ममता गौहर और राधिका पटिया ने कहा कि पेड़ों को राखी बांधने की यह परंपरा अब सिमोरी की पहचान बन चुकी है। शैलेंद्र बिहारिया ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए भावुक पंक्तियां सुनाईं – मैं कोई सांप नहीं की न पालो मुझको, मैं हवा दूंगा, मैं छांव दूंगा, बस एक बार कटने से बचा लो मुझको।
उन्होंने शहीद अमृतादेवी विश्नोई और 362 लोगों के बलिदान का उल्लेख करते हुए कहा कि पेड़ों की रक्षा के लिए भी अपने प्राणों की आहुति दी जा सकती है। कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं है, यह प्रकृति, पेड़-पौधों और सैनिकों के प्रति भी कृतज्ञता और संरक्षण का पर्व है।

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