
**मधेपुरा के विकास के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण: श्री सुरेन्द्र उरांव उपाध्यक्ष , बिहार राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग से आत्मीय मुलाकात**
मधेपुरा 9 अगस्त 2025: श्री सुरेन्द्र उरांव उपाध्यक्ष , बिहार राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग , बिहार से कल सुपौल सर्किट हाउस में हुई एक आत्मीय मुलाकात में मधेपुरा जिले के विकास और अनुसूचित जनजातियों के उत्थान के लिए उनके दृष्टिकोण, विचार और समाधान पर विस्तृत चर्चा हुई। यह मुलाकात न केवल प्रेरणादायक रही, बल्कि मधेपुरा के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को बदलने की उनकी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती है।श्री सुरेंद्र उरांव ने मधेपुरा को बिहार के उन जिलों में से एक बताया, जहां अनुसूचित जनजातियों की आबादी उल्लेखनीय है, लेकिन उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार की व्यापक संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा, "मधेपुरा की मिट्टी में अपार संभावनाएं हैं। यहां के लोग मेहनती और प्रतिभाशाली हैं, लेकिन शिक्षा, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच की कमी ने उनके विकास को सीमित किया है। हमारा लक्ष्य है कि प्रत्येक जनजातीय परिवार तक सरकार की कल्याणकारी योजनाएं पहुंचें।"उन्होंने जोर दिया कि मधेपुरा में शिक्षा और कौशल विकास पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। "हमें बच्चों को न केवल स्कूल तक पहुंचाना है, बल्कि उन्हें ऐसी शिक्षा देनी है जो उन्हें आत्मनिर्भर बनाए। इसके लिए जनजातीय छात्रावासों को और सशक्त करना होगा और सिविल सेवा प्रोत्साहन योजनाओं को बढ़ावा देना होगा," मधेपुरा में बाढ़ की बार-बार आने वाली समस्या को एक बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि बाढ़ न केवल फसलों को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि जनजातीय समुदायों के लिए आजीविका के अवसरों को भी सीमित करती है। इसके समाधान के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि नदियों के कटाव को रोकने के लिए दीर्घकालिक उपाय किए जाएं और प्रभावित समुदायों के लिए वैकल्पिक रोजगार योजनाएं शुरू की जाएं।
उन्होंने एकीकृत जनजातीय विकास कार्यक्रम (Integrated Tribal Development Programme) को और प्रभावी बनाने की बात कही। "हमें स्थानीय स्तर पर छोटे-छोटे उद्योगों को बढ़ावा देना होगा, जैसे हस्तशिल्प, कुटीर उद्योग और जैविक खेती। इससे न केवल रोजगार बढ़ेगा, बल्कि मधेपुरा की सांस्कृतिक विरासत भी संरक्षित होगी," श्री उरांव ने अनुसूचित जनजाति आयोग की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि आयोग न केवल नीतियों को लागू करने का माध्यम है, बल्कि यह जनजातीय समुदायों की आवाज को सरकार तक पहुंचाने का सेतु भी है। उन्होंने मधेपुरा में सामुदायिक जागरूकता अभियानों को बढ़ावा देने की योजना बनाई है, ताकि लोग अपनी योजनाओं और अधिकारों के प्रति जागरूक हों।
उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर दिया। "मधेपुरा की जनजातीय महिलाएं बहुत प्रतिभाशाली हैं। हमें उनके लिए स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को और मजबूत करना होगा। साथ ही, उनके बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान देना होगा," श्री सुरेंद्र उरांव ने अपनी बात को समाप्त करते हुए कहा कि मधेपुरा का विकास केवल सरकारी योजनाओं से नहीं, बल्कि सामुदायिक सहभागिता और जागरूकता से संभव है। उन्होंने स्थानीय नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और युवाओं से आह्वान किया कि वे आयोग के साथ मिलकर काम करें और मधेपुरा को एक समृद्ध और समावेशी जिला बनाने में योगदान दें।
यह मुलाकात न केवल मधेपुरा के लिए एक नई दिशा की ओर इशारा करती है, बल्कि श्री उरांव जैसे नेतृत्व की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है, जो अनुसूचित जनजातियों के उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। बिहार अनुसूचित जनजाति आयोग के इस प्रयास से मधेपुरा में एक नई उम्मीद की किरण जगी है, जो आने वाले समय में जिले के समग्र विकास का आधार बनेगी।मौके पर श्री राम विनय उरांव,राजेश कुमार,नवीन कुमार टोपनो,जोना बेसरा,संजय किस्कू,राहुल उरांव,एवं सहारसा,सुपौल,मधेपुरा के समाजसेवी उपस्थित रहे।
**लेखक**:[नवीन कुमार टोपनो]