
भाई-बहन के प्रेम स्नेह का महापर्व : रक्षाबंधन
रक्षा बंधन, जिसे बोलचाल की भाषा में 'राखी' भी कहा जाता है, भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह बिहार में भी बड़े उत्साह और परंपराओं के साथ मनाया जा रहा है। बिहार में इस त्योहार का विशेष महत्व है, जो सिर्फ भाई-बहन के बीच के प्यार को ही नहीं, बल्कि कई सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को भी दर्शाता है।
मां के बाद वास्तविक प्रेम और स्नेह मिलता है तो वो एक बहन ही दे सकती है ।
बिहार में, राखी का त्योहार सिर्फ एक धागा बांधने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक प्रतिज्ञा का प्रतीक है। बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र (राखी) बांधती है और उसकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सुरक्षा की कामना करती है। इसके बदले में, भाई अपनी बहन की रक्षा करने, उसका सम्मान करने और जीवन भर उसका साथ देने का वचन देता है। यह आपसी प्यार, सम्मान और जिम्मेदारी को मजबूत करता है।
बिहार के ग्रामीण इलाकों में, राखी का महत्व और भी गहरा है।
राखी का त्योहार पूरे परिवार को एक साथ लाता है। दूर-दराज रहने वाले भाई-बहन इस दिन अपने घर लौटते हैं, जिससे परिवार में खुशी का माहौल बनता है। कई जगहों पर, राखी के अवसर पर पारंपरिक लोक गीत गाए जाते हैं। ये गीत भाई-बहन के रिश्ते की मिठास और गहराई को दर्शाते हैं।
इसका पौराणिक और ऐतिहासिक प्रसंग भी है जिसमें कृष्ण और द्रौपदी के द्वारा महाभारत में वर्णित है कि एक बार श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लगने पर द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनके हाथ पर बांध दी थी. तब श्रीकृष्ण ने उसे जीवनभर रक्षा का वचन दिया.
दूसरा प्रसंग ये भी है कि रानी कर्णावती और हुमायूं के द्वारा इतिहास में बताया जाता है कि रानी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजकर मदद मांगी थी. हुमायूं ने उस रक्षाबंधन की लाज रखते हुए उनकी रक्षा की.
मान्यता है कि यमराज ने यमुनाजी से वादा किया था कि रक्षाबंधन मनाने वाले भाई-बहन को मृत्यु का भय नहीं सताएगा.
इसका कुछ आध्यात्मिक पहलू भी है
रक्षाबंधन केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक जीवनमूल्य है—जो प्रेम, त्याग, और भरोसे को दर्शाता है. यह पर्व हमें सिखाता है कि रिश्तों को सहेजना, निभाना और समय पर साथ देना सबसे बड़ी सामाजिक और आध्यात्मिक जिम्मेदारी है. रक्षाबंधन सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि एक ऐसा बंधन है जो दिलों को जोड़ता है और भारतीय संस्कृति की आत्मा को जीवंत करता है.
त्योहार के दिन बिहार के घरों में विशेष पकवान बनाए जाते हैं, जैसे कि खीर, पूड़ी, और तरह-तरह की मिठाइयां । ये पकवान उत्सव के माहौल को और भी खास बनाते हैं।
राखी का त्योहार केवल सगे भाई-बहनों तक ही सीमित नहीं है। बिहार में, कई लोग अपने मुहल्ले के लोगों या दोस्तों के साथ भी राखी मनाते हैं, जिससे समुदाय में भाईचारे और एकता की भावना मजबूत होती है।
आज के समय में भी, जब लोग शहरों में रहते हैं और दूर होते हैं, राखी का महत्व कम नहीं हुआ है।
आज कल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए अगर भाई-बहन एक-दूसरे से दूर हैं, तो वे वीडियो कॉल के जरिए एक-दूसरे को देख सकते हैं और राखी ऑनलाइन भेज सकते हैं।
यह त्योहार समाज को यह संदेश भी देता है कि भाई-बहन का रिश्ता निस्वार्थ प्यार और सम्मान पर आधारित होता है। यह रिश्ता हर मुश्किल में एक-दूसरे का साथ देने का प्रतीक है।
संक्षेप में, बिहार में राखी सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और सांस्कृतिक बंधन है जो सदियों से भाई-बहन के अटूट रिश्ते को दर्शाता आ रहा है। यह त्योहार परिवार, संस्कृति और समाज में आपसी संबंधों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण जरिया है।
मनीष सिंह
शाहपुर पटोरी
@ManishSingh_PT