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पहली वोट चोरी – 14 वोट पटेल, 1 वोट नेहरू” दावा सच है?

🛑 फैक्ट चेक: “पहली वोट चोरी – 14 वोट पटेल, 1 वोट नेहरू” दावा सच है?

📢 दावा:

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल है, जिसमें कहा जा रहा है कि 1946 में प्रधानमंत्री चयन के समय सरदार पटेल को 14 वोट और नेहरू को 1 वोट मिले, फिर भी नेहरू जीते।
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✅ सच क्या है?

यह कोई सार्वजनिक चुनाव नहीं था, बल्कि कांग्रेस पार्टी के भीतर प्रधानमंत्री उम्मीदवार तय करने की आंतरिक प्रक्रिया थी।

1946 में औपचारिक मतदान (Ballot Vote) हुआ ही नहीं।

चयन प्रादेशिक कांग्रेस समितियों (PCCs) के नामांकन से हुआ था।

📊 15 PCCs में से:

12 ने सरदार पटेल का नाम प्रस्तावित किया

0 ने नेहरू का नाम प्रस्तावित किया

3 ने कोई नाम प्रस्तावित नहीं किया
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📜 असल घटनाक्रम:

महात्मा गांधी को लगा कि नेहरू अधिक स्वीकार्य और अंतरराष्ट्रीय छवि वाले नेता होंगे।

उन्होंने पटेल से अपनी उम्मीदवारी वापस लेने को कहा।

पटेल ने गांधीजी की इच्छा का सम्मान करते हुए नाम वापस ले लिया।

नेहरू निर्विरोध कांग्रेस अध्यक्ष बने और बाद में पहले प्रधानमंत्री।
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❌ नतीजा:

“14 बनाम 1 वोट” की कहानी पूरी तरह गलत है — यह इतिहास से मेल नहीं खाती और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है ।
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📚 स्रोत:
1. Vivekananda International Foundation – Choosing the first PM of India

2. ThePrint – Nehru’s election wasn’t unanimous

3. History StackExchange – PCC nominations 1946
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🚨 जागरूक रहें:

उस दौर में सत्ता का लोभ नहीं, देश प्रथम था — नेताओं ने आपसी मतभेद के बावजूद राष्ट्रहित को प्राथमिकता दी।
आज सत्ता के लोभ में भ्रम, झूठ और प्रोपेगंडा फैलाया जा रहा है।

📌 सचेत रहें – सुरक्षित रहें – भ्रममुक्त रहें
📌 झूठी कहानियों और इतिहास के तोड़-मरोड़ से बचें
📌 जानकारी साझा करने से पहले हमेशा तथ्य जांचें
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