
गोरखपुर विश्वविद्यालय तथा अभाविप के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पांच वर्ष पूर्ण होने पर कार्यशाला हुई संपन्न*
वाराणसी। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संयुक्त तत्वाधान में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: संकल्प, प्रयास और चुनौतियां' विषयक एक-दिवसीय राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला का आयोजन गोरखपुर स्थित श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ में किया गया, जिसमें भारत के आठ विश्वविधालयों के कुलपति एवं दो-शोध संस्थानों के निदेशक की उपस्थिति रही। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पांच वर्ष पूर्ण होने पर उसके प्रभावी क्रियान्वयन हेतु चर्चा की गई, जिसमें देशभर से लगभग 200 प्रतिभागी सम्मिलित हुए।
सन 2025 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पांच वर्ष पूर्ण हो गए हैं अपितु आज भी विद्यार्थियों एवं शिक्षक के बीच उसको लेकर काफी संदेह है तथा उसके प्रभावी क्रियान्वयन में अब भी कई विश्वविद्यालय पीछे हैं, ऐसे ही समस्याओं का समाधान चर्चा के माध्यम से हो सके इसके हेतु इस कार्यशाला का आयोजन किया गया था। कार्यशाला में कुल चार सत्र चलाए गए, जिसमें उद्घाटन सत्र, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रमुख प्रावधान तथा लक्ष्य, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु विश्वविद्यालयों के प्रयास एवं समारोप सत्र में भविष्य सभी बिंदुओं को संकलित कर इसके प्रभावी कार्यान्वयन हेतु चर्चा की गई। समारोप सत्र के पूर्व दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय, मां विंध्यवासिनी विश्वविद्यालय, जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय ने एक साथ कई विषयों को लेकर सहमति बनी और समझौता सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
इस कार्यशाला में दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो के एन सिंह, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय श्रीवास्तव, नॉर्थ ईस्टर्न हिल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो प्रभाशंकर शुक्ल, इंडिया गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी, जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शिशिर कुमार पाण्डेय, आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बृजेंद्र सिंह, मां विंध्यवासिनी विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो शोभा गौड़, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च एंड गवर्नेंस के निदेशक डॉ रामानंद एवं आभाषी माध्यम से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन, नई दिल्ली के निदेशक डॉ पी. शंकर की उपस्थिति रही।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो राजशरण शाही ने उद्घाटन सत्र में कार्यशाला का ध्येय एवं सार्थकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि," आज गोरखपुर के इस गौरवशाली विश्वविद्यालय में हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने जा रहे हैं, जिससे वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति को एक महत्वपूर्ण आधार प्राप्त हुआ। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप में गोरखपुर के महंत दिग्विजयनाथ जी द्वारा प्रस्तुत 32 पृष्ठों की असहमति ही इसके मूल स्वरूप की आधारशिला बनी है। आज की राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय मानस की शिक्षा नीति है, जिसमें अपनी अस्मिता को छिपाया नहीं जाता, बल्कि उस पर गर्व किया जाता है।"
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री अंकित शुक्ल ने समारोप सत्र में आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला के सफल आयोजन हेतु शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए इस कार्यशाला का सार सभी के समक्ष रखा तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन की बात कही।
गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो पूनम टंडन ने शैक्षिक जगत के हितधारकों को इस कार्यशाला में प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि," आज जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पांच वर्ष पूर्ण हुए हैं, यह अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम इसकी समीक्षा करें कि इसके प्रभावी क्रियान्वयन हेतु किस दिशा में आगे बढ़ना होगा? करोना काल जैसी भयावह परिस्थितियों के बावजूद उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लागू होने के पश्चात इसे अपनाने वाला पहला राज्य बना। आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कारण अनेक सकारात्मक परिणाम दृष्टिगोचर हो रहे हैं और गोरखपुर विश्वविद्यालय इसमें अग्रणी भूमिका निभाता रहेगा।"