
मायने रखता है भारत का हर त्योहार,
रक्षा बंधन में है भाई बहन का प्यार।
कोई इसे दिल से माने,तो कोई समझे व्योपार।।
होशियारपुर: 10 अगस्त,2025(बूटा ठाकुर गढ़शंकर)
हमारे भारत देश की परंपराएं इतनी विशाल और महत्त्वपूर्ण हैं कि जिनके चलते पूरी दुनियां में इसका अस्तत्व अपने आप ही महान हो जाता है। हमारे देश वासियों को साल भर हर मौसम में विभिन्न प्रकार के त्योहारों को मनाने के अवसर मिलते हैं। जिससे आपसी भाईचारा, और रिश्तों में मजबूती मिलती है। सभी त्योहारों के प्रभाव से हम बड़ी से बड़ी आपदाओं और बिपताओं से पार पा लेते हैं।
रक्षा बंधन भी सब त्योहारों में अपनी ख़ास और अलग पहचान रखता है। इसके प्रचलन की विभिन्न दंत कथाएं हैं पर इनमें से विशेष कथा जिसका पुराणों में भी संदर्भ मिलता है वो है कि शक्तिशाली राजा बलि ने अपने पराक्रम से श्री विष्णु जी को अपने साथ पताल लोक में रहने को विवश कर दिया था तो उस वक्त माता लक्ष्मी जी ने भेस बनाकर राजा बलि को भाई बनने का आग्रह किया तो राजा बलि ने उसे अपनी बहन माना और माता लक्ष्मी ने उसे श्रावण मास की पूर्णिमा को उसे भाई मानते हुए धागा बांधा जिससे राजा बलि ने उसे रक्षा करने का वचन दिया और बदले में श्री विष्णु भगवान को उनके दिए हुए वचन से मुक्त कर दिया। इसके अलावा मधकालीन में महारानी करुणावती ने मुगलों के आक्रमण से रक्षा हेतु मुगल सम्राट हमायूं को धागा बांधा था। मातेश्वरी बीबी नानकी ने भी पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी को राखी बांधी थी। इंसान दुनियां का बहुत ही खुशनसीब इंसान होता है जिसके पास बहन के प्यार का अनमोल खज़ाना होता है। बहन छोटी हो या बड़ी, सगी बहन
हो या धर्म बहन लेकिन उसका प्यार और दुआएं हमेशा बड़ी होती हैं। क्योंकि भाई जितना ताकतवर और सक्षम होगा बहन दुनियां के हर कोने में अपने को उतना ही सुरक्षित महसूस करती है। राखी वाले दिन हो या भाई दूज सम्भव हो तो भाई को ही बहन के घर जाना चाहिए उससे बहन के अच्छे बुरे हालातों का पता चल जाता है, भाई अपनी बहन की जरूरत समझ कर मदद कर सकता है क्योंकि कोई भी बहन अपने भाई को निजी समस्याओं को बताने में संकोच कर सकती है। याद रहे ग्रंथों में सपष्ट उल्लेखनीय है कि जो व्यक्ति बहू,बेटी, बूआ और बहन का मान सम्मान और समय समय पर जरूरतों को निभाता है, उसे कभी भी दुर्भाग्य का सामना नहीं करना पड़ता।
लेकिन इन त्योहारों के साथ साथ कुछ बुराइयों का भी चलन बढ़ता जा रहा है जो इन पवित्र त्योहारों की गरिमा और असली मकसद को ठेस पहुंचाती हैं, इनके आनन्द को फीका कर देती हैं। देखने में पाया गया है कि कुछ ऐसे अनचाहे लोग, ख़ास करके मांगने वाले लोग इस तरह के जज़्बाती त्योहारों की आड़ में पैसे इक्कठे करने में लग जाते हैं 10 रूपए का धागा उठा कर घर घर में राखी का वास्ता देकर पैसे ऐंठने का काम करते हैं। जिससे राखी जैसा पवित्र त्योहार बहुत प्रभावित होता है। इस त्योहार पर सिर्फ़ बहन का ही हक है। जिसकी अपनी बहन नहीं है उसे "धर्म बहन"और जिस बहन का भाई नहीं है उसे "धर्म भाई" ज़रूर बनाना चाहिए। इस त्योहार का असली मकसद भी पूरा होगा और जीवन में भाई बहन के अनमोल प्यार की कमी भी पूरी होगी।