logo

उत्तराखंड, देहरादून तहसील विकास नगर पांचवा जून में भू माफिया की मनमानी संबंधित विभाग के अधिकारी चाट रहे हैं मलाई

पछवादून में भू-माफिया की मनमानी: आसन नदी की जमीन पर अवैध कब्जा, सुविधा शुल्क के खेल में जिम्मेदार मौन
देहरादून: सहसपुर विधानसभा के नया गांव पेलियों में भू-माफिया ने उत्तराखंड के सशक्त भू-कानून को खुलेआम चुनौती दी है। आसन नदी के बीच में ग्राम समाज और नदी की जमीन पर अतिक्रमण कर रिटर्निंग वॉल और पुस्ते बनाकर अवैध कब्जा किया गया है। यह पहला मामला नहीं है; देहरादून से धर्मावाला तक आसन नदी की हजारों बीघा जमीन पर भू-माफिया ने कब्जा जमा लिया है। आरोप है कि बाहरी राज्यों के भू-माफिया न केवल इस जमीन पर अवैध कब्जा कर रहे हैं, बल्कि इसे प्लॉट काटकर बाहरी लोगों को बेच भी रहे हैं।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि जिम्मेदार विभाग ‘सुविधा शुल्क’ लेकर इस अवैध खेल में मूकदर्शक बने हुए हैं। नया गांव पेलियों में नदी के बीचो-बीच रिटर्निंग वॉल बनाकर ग्राम समाज की जमीन को हड़पने का यह सिलसिला पछवादून क्षेत्र में बढ़ता जा रहा है। इससे पहले भी विकासनगर क्षेत्र में आसन पुल के पास श्मशान घाट वाली प्लौटिंग कर नदी पर अतिक्रमण और अवैध खनन कर सड़कों का जाल बिछा दिया और अन्य कई शिकायतें सामने आ चुकी हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर खामोशी छाई रहती है।
👉आरोपों का सिलसिला:
अवैध कब्जा और प्लॉटिंग: भू-माफिया ने नदी और ग्राम समाज की जमीन पर कब्जा कर सैकड़ों बीघा जमीन को प्लॉट में तब्दील कर बेच दिया।
जिम्मेदारों की चुप्पी: जिला प्रशासन और संबंधित विभागों पर सुविधा शुल्क लेकर इस गैरकानूनी गतिविधि को नजरअंदाज करने का आरोप।
पर्यावरणीय नुकसान: नदी की जमीन पर अवैध निर्माण और खनन से आसन नदी का पर्यावरणीय संतुलन खतरे में।
स्थानीय लोगों का आक्रोश:
नया गांव पेलियों और आसपास के निवासियों ने इस अवैध कब्जे और प्लॉटिंग के खिलाफ कड़ा रोष जताया है। उनका कहना है कि भू-माफिया की मनमानी से न केवल उनकी जमीनें खतरे में हैं, बल्कि नदी का प्राकृतिक स्वरूप भी नष्ट हो रहा है। लोगों ने मांग की है कि इस मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।
👉कानूनी प्रावधान:
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 441 के तहत अवैध कब्जे को ‘आगंतुक अपराध’ माना गया है, और धारा 420, 406, 467 के तहत भी इस तरह के मामलों में कार्रवाई हो सकती है। इसके अलावा, स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट 1963 की धारा 6 त्वरित न्याय प्रदान करती है। फिर भी, कार्रवाई का अभाव सवाल खड़े करता है।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल:
पछवादून में अवैध खनन और अतिक्रमण को लेकर तहसील प्रशासन ने कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन ये नाकाफी साबित हो रहे हैं। स्थानीय लोग पूछ रहे हैं कि क्या भू-माफिया का ‘सुविधा शुल्क’ इस मामले में कार्रवाई को प्रभावित कर रहा है?
👉मांग: स्थानीय निवासियों और प्रभावित पक्षों ने सरकार से मांग की है कि:
आसन नदी और ग्राम समाज की जमीन पर अवैध कब्जे की उच्च स्तरीय जांच हो।
भू-माफिया और संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
अवैध प्लॉटिंग और बिक्री पर रोक लगे और पर्यावरणीय नुकसान की भरपाई हो।
👉अब देखना यह है कि क्या प्रशासन इस मामले में सख्ती दिखाएगा या भू-माफिया का सुविधा शुल्क अपना रंग दिखाएगा। इस गंभीर मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई की जरूरत है, ताकि उत्तराखंड के भू-कानूनों की गरिमा बरकरार रहे और पछवादून की प्राकृतिक संपदा सुरक्षित रहे✍️

248
234 views