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जनता अपने आप को कब समझेगी कब नए भारत का उदय होगा

दोस्तों यहां बात है नगर निकाय चुनाव की पहले तो ग्रामीणों वासियों ने अपने नाम खुद शहर नगर निकाय चुनाव में चढ़ाने की सहमति दी
किसी अन्य व्यक्ति को यहां वह व्यक्ति थे जिनका शहर से दूर-दूर तक कोई मतलब नहीं था अपने साधारण भाषा में बोले तो ( जिन्हें फर्जी कहते हैं)
कौन है यहां लोग जवाब मैं अंतिम में दूंगा
जब मतदान करता अपने आप को सही साबित नहीं कर सकता तो उसे कोई हक नहीं है कि वह किसी नेता को गलत साबित करें
क्योंकि कोई भी नेता कभी गलत नहीं होता जनता गलत होती है क्योंकि वहां अपने लालच के लिए गलत आदमी का चुनाव कर लेती है
सीधी सी बात है जिस तरह मतदान करता अपना भला सोचता है इस तरह एक नेता भी अपना भला सोचता है इसमें कोई दोहराए वाली बात नहीं है
होता क्या है की नेता जब अपने भले के लिए और अपने समर्थकों के भले के लिए एक पार्टी से दूसरे पार्टी में जाता है तो क्या जनता को उसे समय कुछ समझ में नहीं आता है
जनता सब जानती है मतदाता स्वयं गलत का चुनाव करती है और फिर नेता को गलत बताती है हालांकि कई मामलों में नेता भी गलत होते हैं पर इसका क्या मतलब नहीं कि हम यहां भूल जाए कि हमारा हिंदुस्तान तरक्की की ओर है और हम कहां पीछे की ओर जा रहे हैं मेरी सभी मतदाताओं से अपील है कि अपने मत का सही प्रयोग करें और अपने देश को एक नए भारत शिक्षित और विकसित भारत बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
अंत में जवाब के साथ अपनी वाणी को विराम दूंगा
नेता जनता से है मतदाताओं से है
इस कुछ बातें नजर आई उत्तरकाशी के नगर निकाय और ग्राम पंचायत चुनाव में जहां उम्मीदवार गलत नहीं थे पर हम जनता ने उम्मीदवारों को गलत बनाया क्योंकि हमने सही उम्मीदवारों का चयन नहीं किया
गलती हमारी तो सजा भी हमारी
इसलिए मैं कहना चाहूंगा की अपनी गलती का कसूर किसी और को ना दे धन्यवाद सभी का

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