
जितेन्द्र जायसवाल जान जन की आवाज
नागदा जिला उज्जैन मध्य प्रदेश
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद बढ़ सकती है नपा अध्यक्ष एवं मुनपा अधिकारी की मुश्किलें
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद बढ़ सकती है नपा अध्यक्ष एवं मुनपा अधिकारी की मुश्किलें
नागदा जं. (निप्र)। नागदा नगर
पालिका परिषद में अधिकारियों एवं चुनी हुई अध्यक्ष द्वारा की जा रही नगर पालिका अधिनियम की अनदेखी एवं सामग्री खरीदी के नाम पर किए गए भारी भ्रष्टाचार की शिकायतें जिला कलेक्टर, प्रमुख सचिव, मुख्य सचिव नगरीय प्रशासन विभाग एवं अन्य अधिकारियों को करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर महिला पार्षद अंतिम मावर एवं रेखा राजकुमार राठौर ने माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। दोनों ही पार्षदों ने अलग-अलग याचिका प्रस्तुत कर उनके द्वारा की गई शिकायतों पर कार्रवाई करने की गुहार लगाई थी। दोनों ही महिला पार्षदों की याचिका पर उच्च न्यायालय खण्डपीठ इंदौर ने 29 जुलाई को आदेश पारित कर जिला कलेक्टर उज्जैन को 2 माह में शिकायतों का निराकरण कर कार्रवाई करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद नगर पालिका अध्यक्ष संतोष ओपी गेहलोत की मुश्किल बढ़ सकती है, साथ ही अधिकारियों पर भी गाज गिरना निश्चित हो गया है।
रविवार को स्थानीय विश्राम गृह पर आयोजित प्रेसवार्ता में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक मावर, पार्षद शशीकांत मावर, महेन्द्रसिंह सिसौदिया, सतीश कैथवास, पार्षद प्रतिनिधि राजेश गगरानी, रामू सिसौदिया, नरेन्द्र सेंगर, नरेश यादव ने पत्रकारों को बताया कि वार्ड 16 की भाजपा पार्षद अंतिम मावर द्वारा उच्च न्यायालय खण्डपीठ इंदौर में एक याचिका क्र. डब्ल्यूपी 19735/2025 दायर की गई थी। जिसमें माननीय उच्च न्यायालय द्वारा महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए उनके द्वारा तथा अन्य पार्षदों द्वारा जिला कलेक्टर उज्जैन एवं अन्य अधिकारियों को की गई शिकायत की जांच कर 2 माह में कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि एक अन्य पार्षद रेखा राजकुमार राठौर द्वारा भी उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर इसी प्रकार की मांग की थी। दोनों ही याचिका
पर न्यायालय द्वारा सुनवाई करते हुए एक आदेश जारी किया है तथा कलेक्टर को कार्रवाई के निर्देश दिए है।
अध्यक्ष में कार्य करने की
इच्छा शक्ति नहीं
श्री मावर एवं अन्य पार्षदों ने कहा कि भाजपा की सरकार एवं परिषद होने के बाद भी नगर में विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं, जिसके चलते नागरिक परेशान है। नपाध्यक्ष पार्षदों की भी नहीं सुनती हैं। उन्होंने कहा कि महामहिम राज्यपाल डॉ. थावरचन्द गेहलोत के परिवार के होने के कारण उन्होंने नपाध्यक्ष श्रीमती गेहलोत का साथ दिया तथा उन्हें अध्यक्ष इस आस से बनाया था कि उनके प्रयासों से क्षेत्र में राज्य एवं केन्द्र सरकार काफी राशि प्राप्त हो सकेगी तथा विकास की नई ईबारत वह लिखेंगे। लेकिन डेढ वर्ष के अंतराल के बाद ही उन्होंने रंग दिखाना प्रारंभ कर दिया तथा विकास को अवरुद्ध कर मात्र भ्रष्टाचार में लिन हो गई। पार्षदों ने बताया कि डेढ वर्ष में परिषद की बैठकों में 225 प्रस्ताव पक्ष एवं विपक्ष ने सर्वानुमति पारित किए, जिनमें से एक पर भी कार्य नहीं हो पाया तथा नगर विकास अवरुद्ध हो गया तथा नपाध्यक्ष का ध्यान सिर्फ उन्हीं से
कार्यों पर होता है जिसमें मोटी कमाई उन्हें होना होती है।
पार्टी से लेकर अधिकारियों तक
की शिकायत
श्री मावर एवं पार्षदों ने कहा कि ऐसा भी नहीं है कि नपाध्यक्ष श्रीमती गेहलोत द्वारा किए जा रहे कृत्यों की जानकारी उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों को नहीं दी हो, उन्होंने सांसद, विधायक, भाजपा जिलाध्यक्ष यहां तक की मुख्यमंत्री मोहन यादव, प्रधानमंत्री कार्यालय, प्रमुख सचिव, मुख्य सचिव सभी जगह शिकायतें की, लेकिन दबाव एवं प्रभाव में कोई कार्रवाई आज तक नहीं हो पाई, इसके बाद उन्हें मजबूरी में उच्च न्यायालय शरण में जाना पडा तथा न्यायालय ने पूरे मामले में ऐतिहासिक निर्णय की इस पारित किया है।
अधिनियम को भी मानती
नपाध्यक्ष
श्री मावर एवं पार्षदों ने बताया कि न्यायालय ने एक सप्ताह में याचिका का निराकरण कर आदेश पारित किया है। उन्होंने बताया कि नपाध्यक्ष श्रीमती गेहलोत एवं नपा के अधिकारी नगर
पालिका अधिनियम को भी कुछ नहीं समझ रहे हैं, तथा अधिनियम के विपरित जाकर कार्य कर रहे हैं। 25 विभागीय समिति के सदस्यों ने इस्तीफे दे दिए, तथा वह किसी भी मिटिंग में शामिल नहीं हुए, उसके बाद भी पीआईसी के निर्णयों को अमल में लाया जा रहा है, जो नियमानुसार अवैध हैं।
आखिर कौन है जादूगर आनन्द ?
पार्षदों ने खुलासा करते हुए कहा कि नपा में एक जादूगर आनन्द उर्फ इंजीनियर निलेश पंचौली हैं जो करोड़ों के भ्रष्टाचार कर रहे हैं। पार्षदों ने कहा कि 90 हजार से 99 हजार तक के अब 3700 बिल भुगतान हुए हैं तथा लिम्पस कम्पनी जो कि इंजीनियर की सांठगांठ से कार्य करती है को अब तक 5 करोड़ के भुगतान किए गए हैं। हाल ही में चंबल मार्ग पर 1 करोड़ की लागत से निर्मित मटन मार्केट भी इसी ठेकेदार ने बनाया है। रिक्षा भी अधिक कीमत पर खरीदे गए, भंगार चोरी की रिपोर्ट तक नपा दर्ज नहीं करवा पाई, नपा कार्यालय में खुलेआम दस्तावेज जलाए जा रहे हैं। ऐसे कई कृत्य है जिनको लेकर अब जांच होगी तथा न्यायालय के आदेश के बाद कार्रवाई भी होगी।