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शिरोमणि अकाली दल की, सुखबीर बादल से ना संभली कमान। नए अकाली दल की ओर, लोगों का बढ़ गया रुझान।।

होशियारपुर: 12 अगस्त,2025 (बूटा ठाकुर गढ़शंकर)
पंजाब की राजनिति में और यहां की राजनीतक पार्टियों में घमासान अपनी चर्म सीमा पर है। सदियों पुराने शिरोमणि अकाली दल को आज सेंध लग गई। उसके समांतर ज्ञानी हरप्रीत सिंह के नेतृत्व में नए अकाली दल का स्वरूप सामने आ चुका है जो उस पर भारी पड़ता नज़र आ रहा है। 15 लाख की मेंबरशिप हो चुकी है। मरहूम मानयोग सरदार प्रकाश सिंह बादल के बाद पार्टी प्रधान सरदार सुखबीर सिंह बादल द्वारा पार्टी को ऊर्जावान रखना और संजोए रखना आसान नहीं रहा। सीनियर नेताओं के आपसी मतभेदों के चलते दिन प्रति दिन पार्टी के अस्तित्व को घात लगती रही। इसका बड़ा झटका तब लगा जब पंजाब के चुनावों दौरान भारतीय जनता पार्टी ने भी शिअद से अपना मोह भंग कर दिया। उस वक्त पंजाब कांग्रेस की भी देश भर में हवा खराब थी जो अब भी जारी है। कांग्रेस के नेता भी पंजाब में आपसी मतभेदों से खासा घिरे हुए थे। जिसका सीधा फ़ायदा तीसरी नई नवेली पार्टी को मिला और बड़ी आसानी से पंजाब में अपनी सरकार बनाने में सफलता हासिल की। मरहूम बादल जी के बाद लोगों का कयास लगाना जायज़ था कि पार्टी की कमान श्रीमती हरसिमरत कौर बादल संभालेगी यदि ऐसा होता तो आज शिअद को यह दिन नहीं देखना पड़ता। क्योंकि वह भी प्रियंका गांधी की तरह अपनी पार्टी को मजबूती देने में कोई कसर नहीं छोड़ती।
खैर अब समय निकल गया अब देखना होगा कि नए अकाली दल के प्रभाव से सिख पंथ का राजनीतक फलसफा कितना आगे बढ़ता है। पर यह पाड़ा सिख पंथ की मर्यादा के खिलाफ़ है। यह नहीं होना चाहिए था हैरानगी तो और भी बढ़ जाती है जब एक और धड़ा अकाली दल वारिस पंजाब के अपना जौवन पकड़ रहा है। पंथ की मर्यादा और पंजाब की रक्षा हेतु हमेशा चिंतत रहने वाले सिख समुदाय के लिए यह पाड़ा बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण है। अब तो बाजां वाला ही सबको एक जुटता प्रदान करे।

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