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सिद्ध पीठ महंत गंगा दास बैरागी की बड़ी साला 745 बैरागी शहीदों का बलिदान स्थल ग्वालियर मध्य प्रदेश की धार्मिक यात्रा का व

सिद्ध पीठ महंत गंगा दास बैरागी की बड़ी साला 745 बैरागी शहीदों का बलिदान स्थल ग्वालियर मध्य प्रदेश की धार्मिक यात्रा का वृतांत |

मेरे गांव रामनगर सोनीपत से 405 किलोमीटर की दूरी पर महंत गंगा दास बैरागी की बड़ी शाला है |

मैं16 नवंबर 2023 शाम को अपने छोटे बेटे सुमित स्वामी के साथ मुरथल पहुंचा | हमारे संगठन के राष्ट्रीय महासचिव मास्टर जगबीर वैष्णव जी भी 5:00 बजे मुरथल पहुंचे गए थे |वहीं पर पीठाधीश्वर स्वामी रामसेवक दास जी महाराज का प्रशंसा पत्र और भुवनेश वैष्णव के लिए समाज गौरव नवरत्न प्रशंसा पत्र बनवाया गया |

हम दोनों बस के द्वारा दिल्ली कश्मीरी गेट 7:30 पहुंचे |दिल्ली में भारी जाम के कारण लग रहा था | हमारी ट्रेन छूट जाएगी | क्योंकि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के जाने के लिए दो तरीके थे | एक मेट्रो द्वारा , दूसरा ऑटो द्वारा या टैक्सी द्वारा | हमने वही जाम से एक ऑटो किया उसने कहा कि मैं कोशिश करूंगा अगर आप पहुंच गए तो |

ऑटो वाले ड्राइवर ने किराया ₹200 बोला और हमने हां कर दी | ऑटो सरपट दौड़ रही थी |नई दिल्ली रेलवे स्टेशन ऐसा लग रहा था , जैसे बहुत दूरी हो गई हो | मास्टर जगबीर वैष्णव जी ने कहा कि गाड़ी तो निकल जाएगी |
मैंने कहा कि हम बैरागियों की समाधि स्थल पर जा रहे हैं गाड़ी जरूर मिलेगी निकल जाएगी तो बस से चलेंगे |

हम दोनों रेलवे स्टेशन पर उतरे उस समय 5 मिनट बाकी रह गए थे , ट्रेन छूटने के |बुढ़ापे में हम दौड़ रहे थे | संत महंत के आशीर्वाद से हमारे को गाड़ी मिल गई |जब सांस में सांस आई |

गाड़ी में बैठने के बाद मैंने वैष्णव संत पीठाधीश्वर स्वामी राम सेवक जी महाराज के पास फोन लगाया |हम ग्वालियर रात में 12:00 बजे पहुंच जाएंगे | उन्होंने मुझे कहा सुरक्षा कारणो से हम रात में 8:00 बजे गेट बंद कर देते हैं | उसके बाद अगले दिन सुबह खोलते हैं | घर से लाया भोजन प्रसाद हम दोनों ने ट्रेन में ही किया |

12:00 बजे गाड़ी ने हमारे को रेलवे स्टेशन ग्वालियर उतार दिया रेलवे स्टेशन से बाहर निकालने के बाद ऑटो वालों का हजूम लगा हुआ था | कोई ₹10 में होटल दिखाने की बात कह रहा था कोई ₹20 में | ऑटो रिक्शा में बैठे और एक होटल के पास पहुंच गए वहां पर बात नहीं बनी तो दूसरे होटल में जाकर रूके | होटल वाला हजार रुपए में बोल रहा था परंतु हमने ₹500 देकर 4 घंटे रुकने का इंतजाम किया |

सुबह उठकर हम दोनों महंत गंगा दास की बड़ी साला सिद्ध पीठ में पहुंच गये | जब हम वहां अंदर गए तो देख कर बहुत अजीब लगा |जहां पर अंग्रेजों से लड़ते हुए हमारे 745 बैरागी योद्धा शहीद हुए | वह सिद्ध पीठ बहुत जर्जर हालत में देखकर रोना आया |

वैष्णव संत स्वामी रामसेवक जी महाराज पीठाधीश्वर सामने गद्दी पर बैठकर प्रभु का नाम जप रहे थे | मेरे जानकार थे| उन्होंने अपने पास हमको बुलाया और बिठाया | सामने 17 समाधियों के पद चिन्ह थे | वहां पर माथा टेका |मैंने अनुमान लगाया कि यह समाधिया उन 745 बैरागी योद्धाओं की है | परंतु यह समाधिया तो जो आज से पहले इस गद्दी पर पीठाधीश्वर बैठे उनकी थी |

फिर मंदिर के दर्शन कीये और गुरु महाराज से बातचीत शुरू हुई तो उन्होंने यह सब जानकारी दी |उसके बाद हम दोनों ने भोजन प्रसाद साधु संतों के साथ किया | कोटा से मेरे परम मित्र भवानी शंकर वैष्णव राष्ट्रपति पदक विजेता और एयरपोर्ट के प्रबंधक भुवनेश वैष्णव बैरागी द्वारे में पहुंच गए |

वैष्णव संत स्वामी रामसेवक जी महाराज का हमने अपने संगठन की तरफ से शाल , श्री फल, तुलसी माला, चंदन तिलक,गुरु दक्षिणा और सम्मान पत्र से सम्मानित किया |

हम झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की समाधि स्थल पर पहुंच गए |वहां पर दर्शन किये और लोगों से बातचीत की|
उन्होंने यह बताया कि यह जमीन भी बैरागियों की थी |
जितनी ग्वालियर में सिंधिया परिवार के पास जमीन है| उतनी ही जमीन महंत गंगा दास बैरागी जी के पास थी |

राजनीतिक कारणो और दबंगो की वजह से पूरी जमीन पर कब्जा कर लिया गया , अब थोड़ी सी जमीन सिद्ध पीठ गंगा दास की बड़ी साला के पास है | मंहत गंगा दास बैरागी जी का बड़ा लश्कर ग्वालियर में मौजूद था |उसमें 1200 बैरागी योद्धा रहते थे |

अंग्रेजों से लड़ाई मे 745 बैरागी योद्धाओं ने अपना बलिदान इसी भूमि पर दिया | दव्ाराचारियो ने समय-समय पर वह रहने की जगह किराए पर दे दी |परंतु वह भी सारे कमरे पर दबंगों का कब्जा हो गया | सिद्ध पीठ की आमदनी के साधन सब बंद हो गए |

दुख इस बात का है कि हमारे 745 बैरागियों ने जो बलिदान भारतवर्ष को आजाद करने के लिए दिया था | पूरे ग्वालियर शहर में दो इंट भी उनकी समाधि के लिए नहीं लगी हुई | यह हमारे वैष्णव बैरागी समाज के लिए सोचने की बात है |

भारत वर्ष के हिंदू सम्राट प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी जी को संगठन इसके बारे में पत्र व्यवहार करेगा |अगर हमारी मांगे नहीं मानी गई तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा | जागो वैष्णव बैरागी भाइयों अपने समाज के लिये |अभी नहीं तो कभी नहीं |

हमारे पुजारी भाइयों की जमीन अंग्रेजों ने भगवान के नाम कर दी गई | वह कानून आज तक बना हुआ है | इस काले कानून को भी खत्म किया जाना चाहिए | दबंग हमारे पुजारी भाइयों को जान से मार देते हैं | उसके बारे में भी वैष्णव बैरागी समाज को सोचने की बहुत बड़ी आवश्यकता है |

प्रबंधक भुवनेश वैष्णव की गाड़ी से हम ग्वालियर एयरपोर्ट गये |उनके ऑफिस में हमने एयरपोर्ट प्रबंधन भुवनेश वैष्णव जी का प्रशंसा पत्र और बंदा वीर बैरागी का स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया |

उनकी गाड़ी से समस्त ग्वालियर शहर देखा | साफ सुथरा शहर पूरा ग्वालियर शहर सिंधिया परिवार की बिल्डिंगों ,किलो और स्कूलों से अटा पड़ा |मेरा उनकी तरफ देखने का शौक नहीं रहा | मैं केवल महान बैरागी योद्धा महंत गंगा दास बैरागी की प्रतिमा और हमारे 745 बैरागियों की शहादत ढूंढ रहा था परंतु सब बेकार रहा |

नाम मात्र की जमीन उस पर भी कब्जाधारियों का कब्जा | स्वामी रामसेवक दास महाराज जी के कोर्ट के चक्कर |मैंने अपने समाज के महान गौरव जज राजेंद्र वैष्णव मुंबई हाई कोर्ट जी से गुरु जी की बात करवाई और कहा कि जो मदद हम बैरागीयो की हो सके आप करने की कोशिश करें | उन्होंने हा की |

शाम का भोजन प्रसाद भुवनेश वैष्णव जी प्रबंधक एयरपोर्ट अथॉरिटी के घर लिया | रात्रि विश्राम सिद्ध पीठ मे किया और 2:00 बजे रात में पैदल ही हम दोनों रेलवे स्टेशन के लिए निकल गए | हमारी ट्रेन लगभग 2 घंटे लेट थी | सुबह 5:00 बजे ट्रेन मिली अपनी सीट ग्रहण की | अब हम मथुरा से आगे अपने घर की तरफ बढ़ रहे हैं |

नरेश कुमार स्वामी निंबार्क
रामनगर गन्नौर सोनीपत हरियाणा

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