
'बाघ का आतंक' और प्रशासनिक लापरवाही: बमोली में तीन बकरियों की मौत, घायल बकरा, ग्रामीण दहशत में
द्वारीखाल (पौड़ी गढ़वाल):
ग्राम बमोली में बाघ का आतंक एक बार फिर ग्रामीणों के लिए चिंता का विषय बन गया है। बीती रात बाघ ने स्थानीय काश्तकार सरदार सिंह की गौशाला का दरवाजा तोड़कर अंदर घुसते हुए तीन बकरियों को मार डाला और एक बकरे को गंभीर रूप से घायल कर दिया।
घटना के बाद सरदार सिंह ने तत्काल इसकी सूचना वन रेंज कार्यालय चेलूसैण में दी, लेकिन मौके पर पहुंचे बिना ही वन विभाग के एक कर्मचारी ने उन्हें यह कहकर लौटा दिया कि “कागजी कार्यवाही में लगभग पाँच हजार रुपये खर्च होंगे, जबकि आर्थिक सहायता मात्र तीन हजार रुपये ही मिलेगी।”
ग्रामीणों का आरोप है कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की लापरवाही सामने आई है। पहले भी ऐसे मामलों में कथित रूप से पैसे लेने के बावजूद कर्मचारियों द्वारा समय पर उचित कार्यवाही नहीं की गई।
स्थानीय काश्तकारों का कहना है कि एक ओर बाघ लगातार गौशालाओं के दरवाजे तोड़कर पालतू मवेशियों को अपना शिकार बना रहा है, जिससे ग्रामीण दहशत में जी रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वन विभाग के कर्मचारियों की तानाशाही और गैर-जिम्मेदार रवैये से पीड़ितों को और मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
ग्रामीणों ने उच्च अधिकारियों और जिला प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में तत्काल संज्ञान लेते हुए न केवल पीड़ित को न्याय दिलाया जाए, बल्कि वन विभाग के ऐसे कर्मचारियों पर भी कार्यवाही की जाए जो आपदा की घड़ी में भी लोगों को मदद के बजाय हतोत्साहित करते हैं।
ग्रामीणों की चेतावनी: यदि बाघ को पकड़ने या भगाने की ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो वे सामूहिक रूप से आंदोलन करने को मजबूर होंगे।