
नवाबगंज में ओवरब्रिज निर्माण से दर्जनों परिवार बेघर होने के कगार पर, रोज़गार पर भी संकट
उन्नाव। कानपुर-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग पर दिसंबर 2025 से शुरू होने वाले नवाबगंज, आशाखेड़ा और दही तिराहा के तीन ओवरब्रिज में से नवाबगंज पुल को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने प्राथमिकता दी है। यह पुल नहर पुलिया से लेकर बाजार तक करीब एक किलोमीटर के दायरे में बनेगा, जिसमें न केवल दर्जनों मकान और पुश्तैनी दुकानें, बल्कि सैकड़ों गरीब ठेले-फुटपाथ व्यवसायियों का रोज़गार भी खतरे में है।
पिछले तीन दिनों में ही सौ से अधिक लोगों को नोटिस मिल चुका है। किसी का घर 5 फीट तो किसी का 20 फीट तक अधिग्रहण की जद में है। वहीं पुल निर्माण क्षेत्र के लगभग 200 फुटपाथी दुकानदारों — जिनमें कपड़े, फल-सब्ज़ी और चाय-नाश्ते के ठेले लगाने वाले शामिल हैं — के सामने रोज़ी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। नोटिस में 15 दिन में अतिक्रमण हटाने का आदेश है, साथ ही 7 दिन के भीतर लखनऊ स्थित गोमतीनगर कार्यालय में अपील करने का अवसर भी दिया गया है।
स्थानीय लोग कहते हैं, “ये सिर्फ दीवारें और छतें नहीं, बल्कि पीढ़ियों की मेहनत, यादें और जीवनभर की पूंजी का सहारा है। अब अचानक सब कुछ उजड़ने के कगार पर है, और हम नहीं जानते कि अगला ठिकाना कहां होगा।”
सूत्रों के अनुसार, पुल की शुरुआत पंजाब नेशनल बैंक के पास से होकर शहीद चंद्रशेखर पंछी विहार के आगे तक हो सकती है। हालांकि, अंतिम बिंदु अभी स्पष्ट नहीं है। इस दायरे में कृषि रक्षा इकाई, बीज भंडार, सरकारी अस्पताल, विकास खंड कार्यालय और ग्राम पंचायत जालिम खेड़ा को जोड़ने वाला एक संपर्क मार्ग भी प्रभावित होगा।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लोगों की मांग है कि नगर पंचायत अध्यक्ष दिलीप लश्करी, विधायक बृजेश रावत और सांसद साक्षी महाराज सामने आकर गरीबों और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास व स्थाई समाधान की पहल करें।
यह ओवरब्रिज यातायात सुगम बनाने और जाम से निजात दिलाने में अहम होगा, लेकिन इसके साथ ही विकास की इस रफ्तार में दर्जनों परिवारों का आशियाना और सैकड़ों गरीबों का रोज़गार उजड़ने का खतरा भी मंडरा रहा है। अब नज़रें प्रशासन पर हैं कि क्या वह इन बेघर और बेरोज़गार होने वाले लोगों को न्यायपूर्ण मुआवज़ा और सुरक्षित ठिकाना दिला पाएगा।