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🇮🇳 घर घर तिरंगा 🇮🇳

दिनांक: 15 अगस्त 2025
स्थान: वाराणसी

राजमाता अहिल्याबाई होलकर नवयुग पाल सेवा समिति (प्रस्तावित ए.एन.पी.सी ट्रस्ट) द्वारा 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर सदस्यों द्वारा अपने अपने घर पर मित्रों के साथ ध्वजारोहण का आयोजन 🇮🇳 घर घर तिरंगा 🇮🇳 के तहत वाराणसी में किया गया । समिति की वरिष्ठ संरक्षक शारदा पाल, प्रतिष्ठित समाजसेवी मुन्ना लाल पाल (चेतगंज) तथा कोषाध्यक्ष भोनु पाल सहित अनेक सम्मानित नागरिकों, युवाओं और समिति के सदस्यों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता किया।

इस अवसर पर समिति के संस्थापक दीपक कुमार पाल (आनंद बोधि) ने डिजिटल लिखित संदेश 🇮🇳 "स्वतंत्रता और शासन की अवधारणा"
विषय पर एक ऐतिहासिक और विचारोत्तेजक वक्तव्य प्रस्तुत किया, जिसका शीर्षक था:

"अहिल्याबाई होलकर का शासन और सामंतवाद से भिन्नता"

> “भारत की आज़ादी केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि मानसिक, सामाजिक और आर्थिक मुक्ति का नाम है।”
दीपक कुमार पाल ने अपने संबोधन में उल्लेख किया कि वर्ष 2025 में राजमाता अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के अवसर पर उनका पुनर्मूल्यांकन अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि बनारस में 1999 से ही समिति द्वारा उनके योगदान को समाज के सामने लाने का प्रयास किया जा रहा है। यह गौरव का विषय है कि एक महिला शासिका के रूप में अहिल्याबाई होलकर ने जिस गरिमा, सेवा और न्याय का उदाहरण प्रस्तुत किया, वही आज के भारत की भी आवश्यकता है — विशेषकर महिलाओं के सामाजिक उत्थान के लिए।

दीपक जी ने अपने शोधाधारित वक्तव्य में यह स्पष्ट किया कि:

🔹 सामंतवाद एक ऐसी सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था थी जिसमें सत्ता, भूमि और संसाधनों का नियंत्रण कुछ शक्तिशाली वर्गों के हाथों में होता था। यह व्यवस्था मुगल काल की जागीरदारी और मराठा पेशवाई के रूप में प्रकट हुई थी।

🔹 इसके विपरीत राजमाता अहिल्याबाई होलकर (1725–1795) का शासन जनकल्याण, धार्मिक सहिष्णुता, और न्यायप्रियता पर आधारित था। उन्होंने अपने शासन को सेवा, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के सिद्धांतों से जोड़ा।

🔹 वे धर्म के नाम पर नहीं, बल्कि धार्मिकता और मानवता के आधार पर शासन करती थीं। उनका शासन लोक-सेवा आधारित लोकतंत्र का जीवंत उदाहरण था।

आज के सन्दर्भ में, दीपक बोधि जी ने चेतावनी देते हुए कहा:

> “जहां अहिल्याबाई होलकर जैसी विभूतियाँ सेवा, न्याय और करुणा का प्रतीक रहीं, वहीं आज सत्ता और पूंजी का गठजोड़ नवसामंतवादी प्रवृत्तियों को जन्म दे रहा है, जो समाज में वर्गीय वर्चस्व, आर्थिक असमानता और राजनीतिक अवसरवाद को बढ़ावा दे रहा है।”
राष्ट्रीय आह्वान:
दीपक जी ने सभी देशवासियों से भारतीय संविधान की प्रस्तावना को अपने घरों में प्रमुखता से लगाने और नई पीढ़ी को इसका नियमित पाठ करने हेतु प्रेरित किया, जिससे सामाजिक चेतना, नैतिक मूल्यों और लोकतांत्रिक सोच का विकास हो सके। उन्होंने कहा:
> “जब प्रत्येक बच्चा प्रतिदिन संविधान की प्रस्तावना पढ़ेगा, तब वह भारत को अहिल्याबाई होलकर की तरह सेवा, समानता और न्याय आधारित राष्ट्र बनाने की दिशा में अग्रसर करेगा।”
अंत में, उन्होंने राजमाता अहिल्याबाई होलकर के बनारस से जुड़े आध्यात्मिक दर्शन को साझा करते हुए कहा:

> “हर महादेव शंभू, काशी विश्वनाथ गंगे।”
“इस जगत में हर जीव में महादेव समाहित हैं। जब व्यक्ति स्वयं की अनुभूति कर पाता है, तभी उसका आचरण, व्यवहार और विचार गंगा के जल की तरह शुद्ध, पवित्र, और कल्याणकारी बनता है। ऐसा ही व्यक्ति सच्चे अर्थों में ‘विश्वनाथ’ बन सकता है।” वही कह सकता है हम भारत के लोग .....
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान और संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक पाठ के साथ “जय हिंद, जय भारत” के घोष से हुआ।
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जारीकर्ता:
राजमाता अहिल्याबाई होलकर नवयुग पाल सेवा समिति
(प्रस्तावित ए.एन.पी.सी. ट्रस्ट)
वाराणसी

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