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कानून समाज और संस्कृति की सुरक्षा के लिए बनने चाहिए

बिहार के दरभंगा जिले में एक पंड्ता की छोरी तनु प्रिया और कोई मंडल का छोरा है राहुल कुमार दोनों नर्सिंग की पढ़ाई करैं थे, जिन नै ब्याह कर लिया और पंडत जी ने मंडला का छोरा गोली तैं मार दिया।

इब छोरी पंडत के पूरे कुणबे ने कत्ल की कॉन्सपिरेसी में शामिल बतावे है सुधा अपनी बाहण के।

जैसा कि अपने देश में नियम सा बना हुआ है सब लड़का लड़की की फेवर में यह कहकर कूद पड़े कि वे बालिग थे और अपनी इच्छा से ब्याह कर सकते थे, किसी बाप या परिवार को बीच में कूदने का अधिकार नहीं और कत्ल का तो बिल्कुल नहीं है।

समस्या शादी या कत्ल में नहीं है समस्या की असल जड़ है भारत में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून और बाद के वे कानून जो अंग्रेजों की नकल से यहां बनाए गए हैं (जैसे कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955), जो भारतीय मुख्यधारा समाज की रीति और व्यवहार के बिल्कुल खिलाफ हैं।

लगभग पूरे UK यानी वेल्स, स्कॉटलैंड, इंग्लैंड और नॉर्दन आयरलैंड में और USA में भी पैतृक संपत्ति पर बच्चों का सीधा कानूनन अधिकार नहीं है। साथ ही 18 वर्ष की बालिग उम्र में पहुंचते ही लगभग बच्चे पार्ट टाइम काम करके अपने खर्च उठाने शुरू कर देते हैं। यानी अपनी जिम्मेदारी खुद उठाने लगते हैं। अपने पैसे से अपना घर बनाते हैं और फिर ही मर्जी से शादी करते हैं।

जबकि भारत में ऐसा नहीं है यहां बेटा बेटी को पैतृक संपत्ति में कानूनन अधिकार प्राप्त है। साथ ही बेटा बेटी जब तक चाहे जिस उम्र तक चाहे माँ बाप के सर रोटी तोड़ सकते हैं। इतना ही नहीं यहां युवा अपने हक़ की बात तो जरूर करते हैं लेकिन जिम्मेदारी की नहीं।

बहुतायत भारतीय समाज में गैर जातीय और निजी रिश्तों में ब्याह निषेध है फिर भी अंग्रेज यह कानून बनाकर गए कि कोई भी किसी से भी ब्याह कर सकता है। जो वृहद समाज में एक्सेप्टेड नहीं है, अंग्रेजों द्वारा अधिकतर कानून भारतीय समाज की मुख्यधारा के खिलाफ ही बनाए है। जिसमें सामाजिक न्याय को पूर्णतः दरकिनार किया गया है।

कानून वही होना चाहिए जो समाज के हितों की रक्षा करता हो ना कि उनका हनन।

तन्नू और राहुल के केस में भी वही हुआ है जो अक्सर होता आया है कानून का सहारा लेकर अपनी जिम्मेदारी से भागकर केवल अपने हक की बात करने के कारण नतीजा भयावह निकला है। पहले तो परिवार को मनाने की कोशिश होनी चाहिए थी अगर नहीं मानते तो कोई दुनिया नहीं पलट जाती इस ब्याह के बिना।

कत्ल हर समस्या का समाधान तो नहीं हो सकता किंतु, जिस माँ बाप ने पाल पोस का बड़ा किया अपने मुंह का निवाला आपके लिए रखा, खुद फ़ाके किए और आपकी हर जरूरत को पूरा किया आपको पढ़ाई के लिए भेजा और आप वहां अलग ही राह पकड़ बैठे हो?

और अब कत्ल पिता ने किया और आप बहन समेत पूरे परिवार को नामजद भी कर रहे हो।
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तो समस्या शादी या कत्ल में नहीं है समस्या कानून में है जो भारतीय समाज की रीति, चलन, संस्कृति और व्यवहार के खिलाफ बना है।

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