
रामाश्रम सत्संग मथुरा उपकेंद्र टूंडला में जारी अखिल भारतीय आध्यात्मिक समारोह, गुरु की महिमा पर हुआ विशेष प्रवचन
टूंडला। रामाश्रम सत्संग मथुरा उपकेंद्र टूंडला में चल रहे तीन दिवसीय अखिल भारतीय आध्यात्मिक सत्संग समारोह में आज दूसरे दिन की सभा भक्ति और श्रद्धा से सराबोर रही। 15, 16 और 17 अगस्त तक आयोजित इस कार्यक्रम में देशभर से हजारों की संख्या में सत्संगी शामिल हो रहे हैं।
आज की संध्या सभा का शुभारंभ शाम 7 बजे भजन से हुआ। “प्रभु जी संगत शरण तुम्हारी, जगजीवन राम मुरारी प्रभु संगत शरण तुम्हारी...” की सामूहिक गूंज ने पूरे परिसर को भक्तिमय कर दिया। भजन की धुन पर उपस्थित श्रद्धालु ध्यानमग्न हो उठे और वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया।
कार्यक्रम में मथुरा से परमपूज्य आलोक कुमार जी, अमित कुमार जी, टूंडला से परमपूज्य श्री प्रभुदायल शर्मा जी, परमपूज्य श्री कृष्णकांत शर्मा जी सहित विभिन्न राज्यों से आचार्यगण पधारे। उनकी उपस्थिति और प्रवचनों ने सत्संगियों को आत्मिक शांति और भक्ति की गहराइयों से जोड़ दिया।
प्रवचन के दौरान एक आचार्य ने गुरु के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु जीवन में मां के समान होते हैं। जिस प्रकार मां अपने शिशु के आंसू देखकर उसे तुरंत गले से लगा लेती है, उसी प्रकार गुरु भी अपने शिष्य को हर दुःख, कष्ट और मोह से बचाकर स्नेह और ज्ञान का आंचल देते हैं। गुरु ही शिष्य का मार्गदर्शन करते हैं और उसे सांसारिक भ्रम से निकालकर सत्य, शांति और आनंद की ओर ले जाते हैं।
आध्यात्मिक संदेश
आचार्य जी के इस संदेश ने यह स्मरण कराया कि जीवन में गुरु का स्थान सर्वोच्च है। गुरु केवल ज्ञान देने वाले नहीं, बल्कि शिष्य के जीवन में प्रकाश का द्वार खोलने वाले होते हैं। वे शिष्य को अज्ञान रूपी अंधकार से निकालकर भक्ति और सेवा के मार्ग पर स्थापित करते हैं। यही कारण है कि भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में सदैव गुरु को परम पूजनीय माना गया है।
समारोह का तीसरा और अंतिम दिन 17 अगस्त को होगा, जिसमें विशेष भजन, प्रवचन और ध्यान की श्रृंखला आयोजित की जाएगी। आयोजकों ने बताया कि इस सत्संग का उद्देश्य मनुष्य जीवन में अध्यात्म, भक्ति और सेवा के महत्व को जागृत करना है।