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यादों का कारवां

क्या पेड़ों को याद रहते हैं
वो पत्ते
जो छोड़ गए उन्हें पतझड़ में

क्या आसमान याद करता होगा कभी
टूट गए तारों को

फूलों को याद रहती होगी क्या
उनकी सुगंध
सूख जाने के बाद
याद रखा होगा क्या चिड़ियों ने
उस पेड़ को
जिसपे बनाया था कभी एक छोटा सा घर
शायद नहीं
पर हम यादों से बने लोग थे
कभी भी कुछ भी ना भूलने के लिए शापित😶
लेखिका नीलम (नीलू) ओझा

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