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आज एकादशी है और कल द्वादशी के दिन भगवान वामनदेव का प्राकट्य महोत्सव रहेगा। इस्कॉन® कुलाई, मैंगलोर, की वेबसाइट पर *रजिस्टर करें* अपनी भाषा में ऑनलाइन माध्यम से मुफ़्त गीता सीखें 18 दिन मे 👇

आज एकादशी है और कल द्वादशी के दिन भगवान वामनदेव का प्राकट्य महोत्सव रहेगा।
अतः एकादशी के दिन दोपहर 12 बजे तक निर्जल उपवास करने से वामन द्वादशी का उपवास संपन्न हो जाएगा। उसके बाद एकादशी का प्रसाद ग्रहण करें।

अगले दिन, 4 सितम्बर प्रातः 10:19 बजे के बाद एकादशी पारण का समय रहेगा।

ॐ नमो नारायणाय। आपको और आपके पूरे परिवार को
परिवर्तिनी एकादशी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
भगवान श्री हरि आपके जीवन का कल्याण करें।`हरे कृष्ण।

इस्कॉन® कुलई मैंगलोर की ओर से एकादशी के दिन भगवद गीता का एक विशेष श्लोक पाठ होता है, जिसमें सभी 18 अध्यायों के 700 श्लोक शामिल हैं आज 3 सितंबर 2025 का लाइव यूट्यूब रिकॉर्डिंग लिंक 👉
https://www.youtube.com/live/jr2ba0HpKhw?si=TlM-fZBbEksIqP3V

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यदि आप इसे नियंत्रित नहीं कर सकते, तो यह धोखा देगा। मन मित्र है और मन ही शत्रु है। यदि आप पूर्णतः कृष्णभावनाभावित हो जाएँ, तो मन मित्र है। और यदि आप कृष्णभावनाभावित नहीं होते, तो मन शत्रु है।

(श्रील प्रभुपाद, वृंदावन, सितंबर 03, 1975)

बातचीत को सुनने के लिए👇

https://vanisource.org/wiki/750903_-_Morning_Walk_-_Vrndavana
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बलरामजी की कृपा के बिना कोई भी वृन्दावन के जीवन की सराहना नहीं कर सकता।

(श्रील प्रभुपाद, वृन्दावन, 3 सितम्बर 1976 )

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हरे कृष्ण इस्कॉन® कुलाई, मैंगलोर,की ओर से मंगल आरती सुबह 👉@4:30 बजे प्रतिदिन , महामंत्र जप सत्र सुबह 👉@ 5:00 बजे प्रतिदिन ,दर्शन आरती प्रातः👉 @7:10 बजे प्रतिदिन, भागवतम् क्लास संध्या काल👉@7:30 बजे प्रतिदिन, ऑनलाइन ज़ूम लिंक के माध्यम से शामिल हो।

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भागवतम् क्लास (_*सभी भाषाओं में अनुवाद*_ )
प्रातः काल@ 8:00 बजे ,प्रतिदिन ऑनलाइन ज़ूम लिंक के माध्यम से शामिल हों !

आज की श्रीमद्भागवत कक्षा, परम पूज्य नाम निष्ठा प्रभुजी द्वारा👉

https://www.youtube.com/live/VKd4LGB9TY8?si=66sTN-AYRdNVrRJW

ज़ूम लिंक:
https://us02web.zoom.us/j/83155853450?pwd=pmWl5YVZyv5hRf17QggM5RgQn8POHD.1

मीटिंग आईडी: 83155853450

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Bhagavad Gita Verse Of the Day: Chapter 11, Verse 54👇

भक्त्या त्वनन्यया शक्य अहमेवंविधोऽर्जुन |
ज्ञातुं द्रष्टुं च तत्त्वेन प्रवेष्टुं च परन्तप || 54||

भक्त्या-भक्ति से; तु–अकेले; अनन्यया अनन्य भक्ति; शक्यः -सम्भव; अहम्-मैं; एवम्-विध:-इस प्रकार से; अर्जुन-हे अर्जुन; ज्ञातुम-जानना; द्रष्टुम् देखने; च-तथा; तत्त्वेन वास्तव में प्रवेष्टुम्–मुझमें एकीकृत होने से; च-भी; परन्तप-शत्रुहंता,अर्जुन।

Translation👇

BG 11.54: हे अर्जुन! मैं जिस रूप में तुम्हारे समक्ष खड़ा हूँ उसे केवल अनन्य भक्ति से ही जाना जा सकता है। हे शत्रुहंता! इस प्रकार मेरी दिव्य दृष्टि प्राप्त होने पर ही कोई वास्तव में मुझमें एकीकृत हो सकता है।

Commentary👇

इस श्लोक में भी श्रीकृष्ण इस पर बल देते हैं कि केवल और केवल भक्ति ही उन्हें प्राप्त करने का उचित साधन है। श्लोक संख्या 11.48 में उन्होंने कहा था कि केवल प्रेममयी भक्ति द्वारा ही उनके विराट रूप का दर्शन किया जा सकता है। अब इस श्लोक में भी श्रीकृष्ण अत्यधिक बल देकर कहते हैं-"मैं जिस दो भुजा वाले रूप में तुम्हारे समक्ष खड़ा हूँ उसकी अनुभूति केवल निष्काम भक्ति द्वारा ही की जा सकती है।" वैदिक ग्रंथों में भी इसे बार-बार दोहराया गया है

भक्तिरेवैनम् नयति भक्तिरेवैनम् पश्यति भक्तिरेवैनम्

दर्शयति भक्तिवशः पुरुषो भक्तिरेव गरीयसी

(माठर श्रुति)

"केवल भक्ति ही हमें भगवान के साथ एकीकृत करती है। उसके दर्शन में केवल भक्ति ही हमारी सहायता करेगी। उसे केवल भक्ति द्वारा ही अनुभव किया जा सकता है। केवल भक्ति ही उसकी प्राप्ति में हमारी सहायता करेगी। भगवान सच्ची भक्ति में बंध जाते हैं, जो सभी मार्गों में सर्वोत्तम है।"

न साधयति मां योगो न सांख्यं धर्म उद्धव।

न स्वाध्यायस्तपस्त्यागो यथा भक्तिर्ममोर्जिता ।।

(श्रीमदभागवत् 11.14.20)

"उद्धव! मैं अपने भक्तों के वश में हो जाता हूँ और वे मुझे जीत लेते हैं किन्तु जो मेरी भक्ति में लीन नहीं हैं, वे चाहे अष्टांग योग का पालन करें, सांख्य दर्शन या अन्य दर्शनों का अध्ययन करें, पुण्य कर्म और तपस्या करें तब भी वे कभी मुझे नहीं पा सकते।"

भक्त्याहमेकया ग्राह्यः श्रद्धयात्माप्रियःसताम्।

(श्रीमदभागवतम् 11.14.21)

"मैं केवल प्रेममयी भक्ति के द्वारा ही प्राप्य हूँ। जो श्रद्धा के साथ मेरी भक्ति में तल्लीन रहते हैं, वे मुझे बहुत प्रिय है।"

मिलहिं न रघुपति बिनु अनुरागा।

किये जोग तप ज्ञान वैरागा।।

(रामचरितमानस)

"बिना भक्ति के कोई भी भगवान को प्राप्त नहीं कर सकता चाहे कोई अष्टांग योग, तपस्या, ज्ञान और विरक्ति का कितना भी अभ्यास क्यों न कर ले।" 'भक्ति क्या है, इसका वर्णन श्रीकृष्ण अगले श्लोक में करेंगे।
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👉 इस्कॉन® कुलाई, मैंगलोर,की ओर से भगवद् गीता Level-1 बैच 47 (Hindi) Online Class यूट्यूब रिकॉर्डिंग लिंक -

https://youtube.com/playlist?list=PLKU6ikvAHEy4nhOfwGAa8v1FxmX1924Ur&si=wU9axplDIfIZHyXo

👉 इस्कॉन® कुलाई, मैंगलोर,की ओर से भगवद् गीता Level 2 बैच 45 (Hindi ) Online Class यूट्यूब रिकॉर्डिंग लिंक -

https://youtube.com/playlist?list=PLKU6ikvAHEy4N6I3fTQT8bCpcUsoq3xaP&si=ZgUsjPqDjDzQrJTc
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मंगलाचरण 👇

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय,ॐ नमो भगवते वासुदेवाय,ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

1) ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जलाकया ।
चक्षुरुन्मिलितं येन तस्मै श्रीगुरुवे नम: ।।
श्री चैतन्यमनोऽभीष्टं स्थापितं येन भूतले ।
स्वयं रूप: कदा मह्यंददाति स्वपदान्न्तिकम् ।।

2) वन्देऽहं श्रीगुरो: श्रीयुतपदकमलं श्रीगुरुन् वैष्णवांचश्र ।
श्रीरूपं साग्रजातं सहगणरघुनाथनविथं तं सजीवम् ।।
सद्वैतं सावधूतं परिजनहितं कृष्णचैतन्यदेवं ।
श्रीराधाकृष्णपादान सहगणललिताश्रीविशाखानन्विताशार्च ।।

3) हे कृष्ण करुणासिन्धो दीनबन्धो जगत्पते ।
गोपेश गोपिकाकान्त राधाकान्त नमोऽस्तु ते।।

तप्तकाञ्चनगौरंगी राधे वृंदावनेश्वरी।
वृषभानुसुते देवि प्रणमामि हरिप्रिये।

4) वाञ्छाकल्पतरुभ्यश्र्च कृपासिंधुभय एव च।
पतितानां पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमो नामः ।।

जय श्रीकृष्ण-चैतन्य प्रभु नित्यानन्द।
श्रीअद्वैत गदाधर श्रीवासादि गौरभक्तवृन्द।।

5) नम ॐ विष्णु-पादाय कृष्ण-प्रेष्ठाय भूतले
श्रीमते भक्तिवेदांत-स्वामिन् इति नामिने ।

नमस्ते सारस्वते देवे गौर-वाणी-प्रचारिणे
निर्विशेष-शून्यवादि-पाश्चात्य-देश-तारिणे ॥

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
*****

*तुलसी प्रणाम मंत्र*👇

वृन्दायै तुलसी देवयायै प्रियायै केशवस्य च।
कृष्णभक्ति प्रद देवी सत्यवत्यै नमो नमः॥
*****

*वैष्णव प्रणाम मंत्र*👇

वाञ्छाकल्पतरुभ्यश्र्च कृपासिंधुभय एव च।
पतितानां पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमो नामः ।।
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महामंत्र 👉हरे कृष्ण हरे कृष्ण , कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम , राम राम हरे हरे।।
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हार्दिक शुभकामनाएं,
Jeetendra Sharan

https://aimamedia.org/newsdetails.aspx?nid=499039&y=1

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