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चीन द्वारा बुद्धिस्ट के हिरासत में हत्या पर तिब्बत के बौद्ध भिक्षुओं, लामा व तिब्बत के जनता के बीच आक्रोश, बौद्ध भिक्षु व आपदा में मारे गए लोगों के आत्मा की शांति के लिए निकाला कैंडल मार्च, महाबोधि मंदिर में भगवान बुद्ध के सामने किया प्रार्थना।

बोधगया (गया)
तिब्बती बौद्ध भिक्षु लामा पाल्डेन वांग्याल की कथित तौर पर हिरासत में क्रूरतापूर्वक हत्या के विरोध में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने चीन के दमनकारी रवैये पर कड़ा सवाल खड़ा किया है। इस बीच त्सांग मठ के शेरसांग ग्यात्सो ने भी चीन के जेल में विरोध स्वरूप अपने प्राण त्याग दिए। इस घटना ने आंदोलन को और गहरा कर दिया है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि यह केवल व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि तिब्बती अस्मिता और मानवाधिकारों पर सुनियोजित हमला है। आंदोलनकारियों ने स्पष्ट कहा है कि चीनी दमन का अंत करो और तिब्बत के साथ खड़े हो। हिरासत में अब और मौतें नहीं होगी। मानवाधिकार कार्यकर्ता और बुद्ध विचारधारा के अनुयायी तिब्बती पार्लियामेंट फ्रार्म युरोप के मेंम्बर थोपतेंग वांगचेन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील कर रहे हैं कि वे तिब्बत में बढ़ते दमन और हिरासत में हो रही मौतों पर कड़ा कदम उठाएं। उन्होंने कहां कि आज बहुत से देश एक-दूसरे की हत्या करने, आपस में युद्ध करने में लगे है। तिब्बत भी इसी तरह के अंदूरनी युद्ध के कारण अपने देश को जगह को खोते जा रहे है। करीब 65 वर्ष से चीन के दमनकारी रवैया से तिब्बत के लोग जुझ रहे है। चाइनिज गवर्मेंट के प्रेसर के कारण तिब्बत के लोग अपना मानसिक संतुलन बिगड़ते जा रहा है। हमारे तिब्बत के कई भाई-बहनों की मौत हो गई है। कई की हत्या, उसके ऊपर अत्याचार चाइनिज गवर्नमेंट के द्वारा किया गया है।
बोधगया में स्थित गदेनफेलज्ञेलिड्ग तिब्बती महायान बुद्ध मंदिर के लामा तेनजिंग ने बताया कि आज तिब्बती लोगों के दूख मनाने का दिन है। क्योकि विश्व में सभी को पता है कि चाइनिज हम लोगों के उपर कितना अत्याचार कर रहा है। हमारा तिब्बत का जो संस्कृति है, उसे मिटाने के लिए चाइना द्वारा स्कूल को बंद करने के साथ विभिन्न तरह के अत्याचार कर रहा है। ऐसे में सभी मोनेस्ट्री के लामा जी द्वारा अपनी सांस्कृतिक को जिंदा रखने के लिए उसका प्रचार कर रहे है। जिसे चीन के सरकार द्वारा रोक लगाया गया है और इन लामाओं और बुद्धिस्ट को अपने जेल में बंद कर रहे है। उनके साथ अत्याचार करने के कारण त्सांग मठ के शेरसांग ग्यात्सो ने अपने जीवन को समाप्त कर लिया। लामा जी लोगों को शांति रहने और करुण करने का सीख देते है। वो तो कोई राजनीति तो नहीं करते। इसके बाद भी इन लामाओं पर चीन द्वारा अत्याचार करना कहां से उचित है। उन्होंने बताया कि इन लामाओं की आत्मा की शांति के साथ इस बार भारत में आई बारिश जैसी आपदा के कारण कई लोगों की मौत हुई है। उनके आत्मा की शांति व उनका अगला जन्म बेहतर से हो। कैंडल मार्च तिब्बत बौद्ध मंदिर से निकल कर विभिन्न रास्ते से होते हुए महाबोधि मंदिर पहुंचा।

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