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नेपाल में उथल-पुथल पर-



मनोज कुमार गुप्ता सामाजिक कार्यकर्ता (भागलपुर)
नेपाल में जेन-ज़ी विरोध प्रदर्शनों के दौरान 20 बहुमूल्य युवाओं की जान जाने पर गहरा दुःख व्यक्त करती है। ये विरोध प्रदर्शन लोगों, विशेषकर युवाओं, की बढ़ती शिकायतों से उपजे व्यापक आक्रोश को दर्शाते हैं, जो उनकी वास्तविक समस्याओं का समाधान करने और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने में लगातार सरकारों की विफलताओं के विरुद्ध हैं।

सत्तारूढ़ वर्ग में व्याप्त भ्रष्टाचार, बढ़ती बेरोजगारी और मुख्यतः युवा आबादी के लिए रोजगार के अवसरों की कमी, जेन ज़ी विरोध प्रदर्शनों के प्रमुख कारणों में से हैं, जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध के बाद भड़के थे। केपी ओली सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद, शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के प्रयासों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। प्रमुख राजनीतिक पदाधिकारियों के खिलाफ भीड़ द्वारा की गई हिंसा को देखते हुए यह और भी आवश्यक है। पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनल की पत्नी राज्यलक्ष्मी चित्रकार की हत्या विशेष रूप से निंदनीय है।

नेपाल के युवाओं की शिकायतों को तुरंत सुना जाना चाहिए और उनके समाधान के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए। साथ ही, संविधान में निहित लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा का भी ध्यान रखा जाना चाहिए, जो राजशाही के विरुद्ध एक लंबे और कठिन संघर्ष के माध्यम से प्राप्त हुए हैं। नेपाल में युवा और लोकतांत्रिक ताकतों को यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहना चाहिए कि राजतंत्रवादी और अन्य प्रतिक्रियावादी ताकतें इस स्थिति का फायदा न उठा सकें। इन जन-आंदोलनों का परिणाम लोकतांत्रिक नवीनीकरण होना चाहिए, न कि सामंती सत्तावादी शासन की वापसी।

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