
गया जी, बिहार का जनार्दन मंदिर जहाँ जीवित व्यक्ति का होता है पिंडदान
गया जी में स्थित जनार्दन मंदिर एक अनोखा धार्मिक स्थल है जहां जीवित व्यक्ति खुद अपना पिंडदान और श्राद्ध कर सकते हैं। हर साल पितृपक्ष के दौरान इस मंदिर में दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि यहां करने वाले व्यक्ति को अपने पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है और आत्मा को शांति एवं मोक्ष प्राप्त होता है।
यह मंदिर भस्मकूट पर्वत पर मां मंगला गौरी मंदिर के उत्तरी भाग में स्थित है, जहां भगवान विष्णु के जनार्दन रूप की पूजा होती है। जनार्दन मंदिर में लोग खासकर वे जातक आते हैं जिनके संतान नहीं होती या जिनका श्राद्ध करने वाला कोई नहीं होता है। यहां आत्मश्राद्ध तीन दिन की विधि से होता है जिसमें दही और चावल से बने पिंड अर्पित किए जाते हैं।
गया में पारंपरिक पिंडदान फल्गु नदी के किनारे किया जाता है, लेकिन जनार्दन मंदिर की खास बात यह है कि यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है जहां जीवित व्यक्ति खुद का पिंडदान कर पितृ ऋण मुक्त होते हैं। इस परंपरा का उल्लेख गरुड़ पुराण, वायु पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।
पितृपक्ष के दौरान यहां भारी भीड़ उमड़ती है और लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए साथ-साथ अपना आत्मश्राद्ध भी करते हैं। यह धार्मिक स्थल गया शहर के प्रमुख पवित्र स्थलों में गिना जाता है और इसे मोक्ष की नगरी के नाम से भी जाना जाता है।
इस वर्ष भी पितृपक्ष 2025 में जनार्दन मंदिर में श्रद्धालुओं की बाकायदा पूजा-अर्चना और पिंडदान की प्रक्रिया चल रही है, जो लोगों के लिए आध्यात्मिक श्रद्धा और शांति का प्रतीक है।
पुरुषोत्तम झा
पटना
Join on X @pranamya_parasb