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किसान मजदूर मोर्चा की ओर से किसान संगठनों ने एकत्रित होकर जिला उपायुक्त फिरोजपुर को बाढ़ के संबंध में एक ज्ञापन सौंपा।

▪️ वर्तमान न्यायाधीशों और विभिन्न विभागों के अधिकारियों की भागीदारी वाली एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर बाढ़ के कारणों की जाँच की जाए: किसान नेता

फिरोजपुर : - (तिलक सिंह राय) - किसान मजदूर मोर्चा के आह्वान पर, पंजाब भर के उपायुक्तों को ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसी के तहत, किसान मजदूर मोर्चा की ओर से विभिन्न किसान संगठनों द्वारा जिला उपायुक्त फिरोजपुर को बाढ़ के संबंध में एक ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें किसान मजदूर संघर्ष समिति की ओर से जिला अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह बाठ, जिला सचिव डॉ. गुरमेल सिंह फत्ते वाला, भारती किसान यूनियन ब्रह्मके की ओर से चमकौर सिंह आसमान वाला, किसान मजदूर मोर्चा संगठन की ओर से नरिंदर सिंह और क्रांतिकारी की ओर से बीबी बलजीत कौर मक्खू आदि नेता शामिल थे जिन्होंने उपायुक्त दीप शिखा शर्मा को ज्ञापन सौंपा। इस अवसर पर नेताओं ने पत्रकारों से अपनी बातचीत साझा करते हुए कहा कि आज का ज्ञापन यह है कि पिछले दिनों पूरे पंजाब में बाढ़ ने कहर बरपाया है। जिसमें पंजाब के 1902 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। इस संबंध में आज पंजाब भर के डिप्टी कमिश्नरों को ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं। हमारी मुख्य मांगें हैं कि बाढ़ के कारणों की जांच के लिए एक मौजूदा जज के आधार पर न्यायिक आयोग का गठन किया जाए। जिसमें पर्यावरण विशेषज्ञ, सिंचाई विशेषज्ञ, भूगर्भशास्त्री, बांध प्रबंधन विशेषज्ञ, विपक्षी दलों के प्रतिनिधि आदि जांच में शामिल हों और दोषियों को सख्त सजा दी जाए, बाढ़ और राहत कार्य करते समय मरने वाले व्यक्ति को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए, मकानों को हुए नुकसान का 100% मानकर मुआवजा दिया जाए, गांवों को एक इकाई न मानकर बाढ़ क्षेत्र न माना जाए, एकड़ को एक इकाई मानकर मुआवजा दिया जाए, फसलों के नुकसान के लिए 70 हज प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया जाए, गन्ने की फसल के नुकसान पर 1 लाख रुपये दिए जाएं, पशु की मौत पर 1,25,000 दिए जाएं, भेड़-बकरियों और पोल्ट्री फार्म के नुकसान पर 100 फीसदी मुआवजा दिया जाए, जिस किसान की जमीन बाढ़ में बह गई है, उसकी रेत पर समय सीमा न लगाई जाए। जमीन खाई का रूप ले चुकी है। उसकी जमीन को समतल करने का पूरा खर्च सरकारी खजाने से वहन किया जाए और अगली फसल के लिए मुफ्त बीज और खाद मुहैया कराई जाए। हर परिवार को एक लाख रुपये विस्थापन भत्ता दिया जाए। बाकी मुआवजे के साथ ही खेत मजदूरों को फसल नुकसान के दस फीसदी के बराबर मुआवजा दिया जाए। बाढ़ प्रभावित मजदूरों और किसानों का पूरा कर्ज माफ किया जाए, जिनकी जमीन नदी के बहाव में आती है। जहां तटबंध के स्थायी निर्माण से नुकसान को रोका जा सकता है। उन किसानों को दरिया के बाहर बराबर आकार के प्लॉट दिए जाएं और उनके निर्माण आदि का पूरा मुआवजा दिया जाए। जिन गैर आबाद किसानों की जमीनें 2007 में गिरा दी गई थीं या जिनकी गिरदौरियां 2019 में गिरा दी गई थीं। जिन किसानों को 2023 में भी कोई नुकसान नहीं हुआ, उन्हें मौके पर गिरदौरियां करवाकर तुरंत नुकसान का मुआवजा दिया जाए। इस मौके पर किसान नेता हरफूल सिंह दुलेवाला, नरिंदरपाल सिंह जुटला, सुरजीत सिंह फौजी, केवल सिंह, अमनदीप सिंह कचरभान, अवतार सिंह, गुरनाम सिंह अलीके, गुरभेज सिंह, भूपिंदर सिंह, गुरदयाल सिंह टिब्बी, मंगल सिंह, रछपाल सिंह गट्टा, मसन सिंह, अजमेर सिंह, नरिंदर सिंह किसान मजदूर मोर्चा, दिलबाग सिंह किसान यूनियन बेहराम के मुठिया वाला आदि मौजूद थे।

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