हिंदी दिवस
भाषा संप्रेषण का उत्तम साधन है जो भाव को पूरी यथार्थता तथा पूरी स्वछंदता के साथ प्रदर्शित करता है/ भाषा के तौर पर हिंदी का भारतीयों के हृदय तथा आत्मा से तारतम्यतापूर्ण संबंध है/ बात को जितनी सरलता से हिंदी द्वारा प्रदर्शित किया जाता है वह अन्यत्र किसी भाषा के बस की बात नहीं/ हिंदी के विस्तृत स्वरूप के दर्शन हेतु हिंदी साहित्य को पढ़ा जाना परम आवश्यक है/ साहित्य के दर्शन के बाद आप यह है अनुभव कर सकते हैं कि हिंदी एक भाषा न होकर वरन आत्मा की भाव रूपी गागर है / अन्य भाषा के विकास से कोई परहेज नहीं होना चाहिए परंतु अन्य भाषा का विकास हिंदी के पतन पर टिका है तो हमें वह विकास स्वीकार्य नहीं होना चाहिए /अंग्रेजी साहित्य का पठन-पाठन बुरी बात नहीं है परंतु हिंदी को दोयम दर्जे का मानना आज के लोगों की पाश्चात्य सोच का परिचायक मात्र है/ अत: हमें हिंदी के विकास तथा प्रयोग को उन्नत स्वरूप देने की आवश्यकता है/ मिशनरी शिक्षा का प्रभाव दूर कर हमें हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है/ जिससे हिंदी की उपादेयता तथा महत्ता बरकरार रखी जा सके/ स्वयं लिखा काव्य पाठ **नई प्रीत है, नई गीत है**दुखियो के मन का मीत है**भावना का असीम ज्वार है**कवियों का यें प्यार है**नेताओं का बोल है यें**वाक्य का रस तोल है**यें सितारों सी भव्य है**रागो का यह गव्य है**यें आंदोलन से प्रेरित है**यें शहीदों से उद्वेलित है**यें मानक है गुणवत्ता का**यें पर्याय है सत्ता का**यें भाषारूपी सागर है**यें मिट्टी रूपी गागर है**यें मराठा है, यें सिंधी है**यें माथे पर लगी बिंदी है**यें भावना रूपी हिन्दी है/**यें भावना रूपी हिन्दी है /*अभिषेक धामा ✍️