
आप सभी देशवासियों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं💐🙏
आप सभी दोस्तों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं💐🙏
मैं हिन्दी हूं। बहुत दुखी हूं। स्तब्ध हूं। समझ में नहीं आता कहां से शुरू करूं? कैसे शुरू करूं? मैं, जिसकी पहचान इस देश से है, इसकी माटी से है। इसके कण-कण से हैं। अपने ही आंगन में बेइज्जत कर दी जाती हूं! कहने को संविधान के अनुच्छेद 343 में मुझे राजभाषा का दर्जा प्राप्त है।
अनुच्छेद 351 के अनुसार संघ का यह कर्तव्य है कि वह मेरा प्रसार बढ़ाएं। पर आज यह सब मुझे क्यों कहना पड़ रहा है? नहीं जानती थी मेरा किसी 'राज्य-विशेष' में किसी की 'जुबान' पर आना अपराध हो सकता है।
मन बहुत दुखता है जब मुझे अपनी ही संतानों को यह बताना पड़े कि मैं भारत के 70 प्रतिशत गांवों की अमराइयों में महकती हूं। मैं लोकगीतों की सुरीली तान में गुंजती हूं। मैं नवसाक्षरों का सुकोमल सहारा हूं। मैं जनसंचार का स्पंदन हूं।
मैं कलकल-छलछल करती नदिया की तरह हर आम और खास भारतीय ह्रदय में प्रवाहित होती हूं। मैं मंदिरों की घंटियों, मस्जिदों की अजान, गुरुद्वारे की शबद और चर्च की प्रार्थना की तरह पवित्र हूं। क्योंकि मैं आपकी, आप सबकी-अपनी हिन्दी हूं।
विश्वास करों मेरा कि मैं दिखावे की भाषा नहीं हूं, मैं झगड़ों की भाषा भी नहीं हूं। मैंने अपने अस्तित्व से लेकर आज तक कितनी ही सखी भाषाओं को अपने आंचल से बांध कर हर दिन एक नया रूप धारण किया है। फारसी, अरबी, उर्दू से लेकर 'आधुनिक बाला' अंग्रेजी तक को आत्मीयता से अपनाया है।
अपनी सोच को थोड़ा सा विस्तार दो, मैं आपकी भी तो हूं।
बस इतना ही,
आप सबकी
हमेशा-सी,
हिन्दी ❤️
लेखिका नीलम ओझा नीलू