logo

अधिवक्ता ट्रांसफर पर स्टेट बार काउंसिल शुल्क नहीं ले सकती: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण अंतरिम निर्देश जारी करते हुए स्टेट बार काउंसिल ऑफ मध्य प्रदेश को एक अधिवक्ता का नाम अपनी नामावली में बिना किसी शुल्क के दर्ज करने का आदेश दिया है। अधिवक्ता ने अपना पंजीकरण दिल्ली बार काउंसिल से मध्य प्रदेश में स्थानांतरित कराया था, जिसके बाद स्टेट बार काउंसिल द्वारा उनसे शुल्क की मांग की जा रही थी। कोर्ट ने अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 18 का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे स्थानांतरण “बिना किसी शुल्क के भुगतान के” किए जाने चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायाधीश विनय सराफ की खंडपीठ अधिवक्ता रोहित पाठक द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में स्टेट बार काउंसिल द्वारा पंजीकरण के लिए 15,000 रुपये की मांग को चुनौती दी गई थी, जबकि भारतीय बार काउंसिल (Bar Council of India) उनके स्थानांतरण को पहले ही मंजूरी दे चुकी थी।

मामले की पृष्ठभूमि याचिकाकर्ता रोहित पाठक शुरुआत में दिल्ली बार काउंसिल में एक अधिवक्ता के रूप में नामांकित थे। व्यक्तिगत कारणों से उन्होंने अपनी प्रैक्टिस दिल्ली से जबलपुर स्थानांतरित कर ली और इसके लिए दिल्ली बार काउंसिल से मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल में अपना नामांकन स्थानांतरित करने के लिए आवेदन किया।

याचिकाकर्ता के अनुसार, दिल्ली बार काउंसिल और भारतीय बार काउंसिल दोनों द्वारा शुल्क की मांग की गई थी, जिसका उन्होंने विधिवत भुगतान किया। इसके बाद, भारतीय बार काउंसिल ने 5 जुलाई, 2025 के अपने आदेश द्वारा उनके स्थानांतरण आवेदन (संख्या 154/2025) को स्वीकार कर लिया। यह मंजूरी इस शर्त पर दी गई थी कि याचिकाकर्ता स्थानांतरण की पुष्टि के लिए अपना मूल नामांकन प्रमाण पत्र दिल्ली बार काउंसिल के समक्ष पृष्ठांकन (endorsement) हेतु प्रस्तुत करेंगे।

याचिकाकर्ता ने 18 जुलाई, 2025 को अपना प्रमाण पत्र दिल्ली बार काउंसिल में जमा किया, जिसने आवश्यक पृष्ठांकन करने के बाद दस्तावेज़ को मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल को भेज दिया।

0
0 views