
धर्म के नाम पर करोड़ों की कमाई: ऑनलाइन ज्योतिष प्लेटफ़ॉर्म्स पर उठे सवाल
नई दिल्ली। डिजिटल दौर में तेजी से बढ़ते ऑनलाइन ज्योतिष प्लेटफ़ॉर्म अब विवादों में आ गए हैं। उपभोक्ता और ज्योतिषाचार्य दोनों ही इन कंपनियों की गतिविधियों पर सवाल उठा रहे हैं। आरोप है कि ये प्लेटफ़ॉर्म धर्म और आस्था के नाम पर भारी-भरकम रकम वसूल रहे हैं और साथ ही कार्यरत ज्योतिषियों का भी शोषण कर रहे हैं।
रत्न और पूजा के नाम पर मनमानी वसूली
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि साधारण रत्न, जो बाज़ार में तीन से पाँच हज़ार रुपये में उपलब्ध हैं, उन्हें इन प्लेटफ़ॉर्म्स पर तीस हज़ार से दो लाख रुपये तक बेचा जा रहा है। यही नहीं, पूजा के नाम पर मोटी रकम वसूल की जाती है, लेकिन वास्तविक पूजा होने का कोई पुख़्ता प्रमाण नहीं दिया जाता। कई मामलों में उपभोक्ताओं को केवल पूजा की प्रतीकात्मक तस्वीरें भेज दी जाती हैं।
ज्योतिषियों पर दबाव और पेनल्टी
सूत्रों के अनुसार, इन प्लेटफ़ॉर्म्स पर काम करने वाले ज्योतिषियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें उनसे कहा जाता है कि वे उपभोक्ताओं को हर हाल में पूजा और रत्न खरीदने के लिए प्रेरित करें। यदि कोई ज्योतिषी कंपनी के निर्देशों के अनुसार नहीं चलता, तो उस पर पचास हज़ार से लेकर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है। इसके अलावा, जिन ज्योतिषियों की कंपनी प्रबंधन में “पहचान” होती है, उन्हें अधिक ग्राहक दिए जाते हैं जबकि अन्य को किनारे कर दिया जाता है।
महिला सुरक्षा पर भी सवाल
कुछ महिला ज्योतिषियों ने आरोप लगाया है कि प्लेटफ़ॉर्म पर आने वाले पुरुष उपभोक्ताओं से अशोभनीय वार्तालाप करने के लिए उन्हें मजबूर किया जाता है। यह न केवल महिला सुरक्षा बल्कि कार्यस्थल पर गरिमा और नैतिकता का भी उल्लंघन माना जा रहा है।
करोड़ों की कमाई, पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न
जानकारों का कहना है कि ये प्लेटफ़ॉर्म प्रतिदिन दो से तीन करोड़ रुपये तक का कारोबार कर रहे हैं। इसके बावजूद उपभोक्ताओं को न तो सही टैक्स इनवॉइस मिलती है और न ही इनके वित्तीय लेन-देन का कोई स्पष्ट ब्योरा सामने आता है। इससे टैक्स चोरी और ब्लैक मनी की आशंका भी गहराती जा रही है।
प्रशासनिक हस्तक्षेप की माँग
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि अब तक न तो मीडिया ने और न ही प्रशासन ने इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाई है। वे मांग कर रहे हैं कि इन प्लेटफ़ॉर्म्स की वित्तीय जांच हो, उपभोक्ताओं से वसूली गई रकम का हिसाब लिया जाए और पूजा व सेवाओं का वास्तविक सत्यापन कराया जाए।
समाज पर असर
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की गतिविधियाँ आम जनता, विशेषकर गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों को बुरी तरह प्रभावित कर रही हैं। कई लोग क़र्ज़ लेकर पूजा और रत्न खरीदते हैं, जिससे वे और अधिक आर्थिक संकट में फँस जाते हैं। यह प्रवृत्ति न केवल अंधविश्वास को बढ़ावा देती है बल्कि समाज में असमानता और मानसिक तनाव भी बढ़ाती है।
अब देखना यह होगा कि शासन और प्रशासन इन गंभीर आरोपों को कितनी गंभीरता से लेते हैं और क्या उपभोक्ता तथा ज्योतिषाचार्य दोनों के हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाते हैं।