
पत्रकारों के उत्पीड़न के खिलाफ जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया की हुंकार, सरकार से सुरक्षित माहौल की मांग**
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नई दिल्ली: पत्रकारों पर बढ़ते हमले और फर्जी मुकदमों के खिलाफ जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने एक वर्चुअल मीटिंग में कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार से पत्रकारों के लिए सुरक्षित व भयमुक्त माहौल की मांग की। काउंसिल ने कहा कि पत्रकार समाज का आईना हैं, जो समाज की अच्छाइयों और बुराइयों को निर्भीकता से सामने लाते हैं। इस मीटिंग में 100 से अधिक राष्ट्रीय व प्रादेशिक पदाधिकारियों सहित अन्य पत्रकारों ने हिस्सा लिया और अपने विचार व्यक्त किए।
मीटिंग की शुरुआत काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. अनुराग सक्सेना ने की। उन्होंने पत्रकारों पर हो रहे फर्जी मुकदमों और उत्पीड़न पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि छोटे अखबारों के अस्तित्व की लड़ाई में सरकार को ई-पेपर को मान्यता देना जरूरी है। राष्ट्रीय पदाधिकारी राजू चारण ने जोर देकर कहा कि असंगठित पत्रकारों को एकजुट होकर आवाज उठानी होगी, और इसके लिए जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया से बेहतर मंच नहीं है।
*राष्ट्रीय पदाधिकारी हरिशंकर पाराशर और झा जी ने भी पत्रकारिता को समाज का आईना बताते हुए इसे स्वच्छ और सुरक्षित रखने की आवश्यकता पर बल दिया।* बिहार प्रभारी कुणाल भगत ने कहा कि पत्रकारों का शोषण अब आम हो गया है, लेकिन काउंसिल इसे बर्दाश्त नहीं करेगी और इसके खिलाफ हरसंभव संघर्ष करेगी। अन्य राज्यों के पदाधिकारियों ने भी पत्रकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए काउंसिल के संघर्ष को जारी रखने का संकल्प लिया।
सभा का समापन राष्ट्रीय संयोजक डॉ. आर.सी. श्रीवास्तव ने किया। उन्होंने पत्रकारों से एकजुट होकर संगठन को मजबूत करने और इसके बैनर तले संघर्ष करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “संगठित होने पर हम कोई भी लड़ाई आसानी से जीत सकते हैं। पत्रकार हित हमारी पहली प्राथमिकता है।”
इस अवसर पर काउंसिल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं और उनसे स्थानीय व छोटे स्तर के पत्रकारों को मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू करने की अपील की। काउंसिल ने कहा कि स्थानीय पत्रकार जोखिम उठाकर गली-गली से समाचार जुटाते हैं, जो अखबारों की सुर्खियां बनते हैं। उनके हितों की रक्षा करना अति आवश्यक है।
जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने पत्रकारों की सुरक्षा और सम्मान के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और इस मुद्दे पर लगातार आवाज उठाने का वादा किया।