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" पत्रकार एवं यूट्यूबर शुभांकर मिश्रा और देश में कट्टर हिन्दू जातिवादियों का विरोध शांतिपूर्ण ढंग से होना चाहिए,वरना देश को यह अपनी बपौती समझते हैं "

माननीय उच्चतम न्यायालय के एक फैसले पर जातिवादी मानसिक कुप्रवृत्तियों का यूट्यूबर एवं पत्रकार शुभांकर मिश्रा तथा हिन्दू धर्म (जिस धर्म से मैं आता हूं, किन्तु मैं ऐसा नहीं हूं और न ही इस धर्म में कोई ऐसे सिध्दांत हैं, क्योंकि इस धर्म में मानव- मानव में भेद नहीं है, इसलिए यह धर्म विश्व को पूरा एक परिवार मानता है) के जातिवादी मानसिक कुप्रवृत्तियों के लोगों के उसके खिलाफ है, जो उचित नहीं है, क्योंकि अभी तक कोई और सर्वोच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय जी होते तो अवमानना के आधार पर सलाखों के पीछे होते, शर्म नहीं आती ऐसे पत्रकार एवं यूट्यूबरों को तथा जातिवादी मानसिक कुप्रवृत्तियों के लोगों को क्योंकि यह राजतंत्र नहीं है, लोकतंत्र का शासन चल रहा है, नेपाल की घटना अभी हाल ही में घटी है,याद नहीं है क्या?वह देश में भी घटित हो सकती है, यदि इस तरह से अपनी जातिवादी मानसिक कुप्रवृत्तियों की गंदगी समाज के बीच फैलाओगे तो। मैं किसी भी भारतीय समाज का विरोधी नहीं हूं, किन्तु उसकी गलत नीतियों का पुरजोर विरोधी हूं और रहूंगा। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय जी के निर्णय को सही मानता हूं और समाज की प्रगति के लिए संवैधानिक रूप से सही है। यह खबर सोसल मीडिया पर बहुत चल रही है।यह देश का दुर्भाग्य ही कहना चाहूंगा, जो माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ खड़े हैं,वे मूर्ख और न समझ हैं, क्योंकि कोरोनाकाल में कोई ईश्वर नहीं आया बचाने के लिए, उसके लिए सभी अस्पतालों में डेरा जमा कर बैठे थे और गरीबों द्वारा जिस सड़क का निर्माण करवाया गया था,उनको उसी पर चलने नहीं दिया किसी ने ,तब कोई ईश्वर नहीं आया और न ही किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची, जबकि गरीब सभी धर्मों , जातियों, वर्गों में है,तब किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंची और इसके साथ-साथ पूर्व में नोटबंदी के दौरान हजारों किसानों, मजदूरों, एवं गरीबों की जान गई तब ठेस नहीं पहुंची। यह मेरे शब्द नहीं है, तमाम पब्लिक डोमेन में हैं।

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