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GST में बड़ी राहत: स्वास्थ्य बीमा पर घटे कर का सरकार और जनता पर क्या असर?

नई दिल्ली, 2025:
भारत सरकार ने हाल ही में जीएसटी (GST) सुधार 2025 की घोषणा की है, जिसके तहत स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) पर लगने वाला कर घटाकर नई दरों में लागू किया गया है। पहले जहां सभी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों पर 18% जीएसटी लिया जाता था, वहीं अब विभिन्न श्रेणियों में यह दर 12%, 5% और कुछ सेवाओं पर 0% (Zero Rated) तक कर दी गई है।

यह फैसला सीधे तौर पर करोड़ों पॉलिसीधारकों, बीमा कंपनियों और सरकारी राजस्व पर प्रभाव डालेगा। आइए विस्तार से समझते हैं कि इस कदम से सरकार की अर्थव्यवस्था, बीमा उद्योग और आम जनता पर क्या असर पड़ेगा।

1️⃣ राजस्व पर तात्कालिक प्रभाव

वित्त विशेषज्ञों के मुताबिक, स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी दर घटने से सरकार के अप्रत्यक्ष कर राजस्व में शॉर्ट-टर्म कमी आ सकती है।

उदाहरण के तौर पर, 100 करोड़ रुपये के प्रीमियम पर 18% की दर से 18 करोड़ रुपये जीएसटी मिलता था।

नई दर 12% होने पर यही टैक्स करीब 12 करोड़ रुपये रह जाएगा।

यानी सरकार को प्रारंभिक दौर में कर संग्रह में 30–35% तक की कमी झेलनी पड़ सकती है। वित्त मंत्रालय को अपने बजट और खर्च प्रबंधन में नई रणनीति अपनानी होगी।

2️⃣ बीमा उद्योग के लिए वरदान

इंश्योरेंस कंपनियों का कहना है कि प्रीमियम पर कर घटने से बीमा पॉलिसियों की कुल लागत कम होगी, जिससे नए ग्राहक जुड़ेंगे।

फैमिली और सीनियर सिटीजन पॉलिसी अब 12% GST पर आएंगी।

प्रिवेंटिव हेल्थ व वेलनेस एड-ऑन केवल 5% पर उपलब्ध होंगे।

सरकारी व चैरिटी अस्पतालों, राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम और ब्लड बैंक सेवाओं को 0% GST का लाभ दिया गया है।

बीमा क्षेत्र का मानना है कि इससे हेल्थ इंश्योरेंस का कवरेज रेट अगले 2–3 वर्षों में तेजी से बढ़ सकता है।

3️⃣ जनता के लिए सीधा फायदा

आम लोगों के लिए यह सुधार राहत लेकर आया है।

अब 5 लाख की फैमिली फ्लोटर पॉलिसी पर प्रीमियम कम होगा।

वरिष्ठ नागरिकों को कम प्रीमियम के साथ ज्यादा कवरेज मिल सकेगा।

0% जीएसटी सेवाओं से सरकारी अस्पतालों और एनजीओ क्लिनिक में मुफ्त या सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान होगी।

साथ ही, आयकर अधिनियम की धारा 80D के तहत मिलने वाली टैक्स छूट पहले की तरह जारी रहेगी, यानी प्रीमियम पर डबल लाभ मिलेगा—कम जीएसटी और इनकम टैक्स डिडक्शन।

4️⃣ दीर्घकालिक आर्थिक लाभ

विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही सरकार को अल्पावधि में कर संग्रह में कमी दिखे, लेकिन लंबी अवधि में इसका सकारात्मक असर होगा:

बीमा कवरेज बढ़ेगा ⇒ ज्यादा नागरिकों को निजी इलाज की सुरक्षा ⇒ सरकारी अस्पतालों पर बोझ घटेगा।

स्वास्थ्य में सुधार ⇒ कार्यबल ज्यादा उत्पादक ⇒ अर्थव्यवस्था में तेजी।

बढ़े हुए पॉलिसीधारक ⇒ आगे चलकर आयकर और अन्य अप्रत्यक्ष करों से राजस्व की भरपाई संभव।

5️⃣ सरकार की रणनीति

वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, कम जीएसटी से होने वाली राजस्व हानि की भरपाई के लिए सरकार निम्न कदम उठा सकती है:

अन्य सेक्टरों से कर संग्रह बढ़ाना।

गैर-जरूरी सब्सिडी कम करना।

आर्थिक विकास दर तेज करने पर जोर देना, जिससे समग्र जीएसटी कलेक्शन स्वतः बढ़े।

📊 नई GST दरें (2025) – स्वास्थ्य बीमा
कवरेज/सेवा पुरानी दर नई दर
इंडिविजुअल हेल्थ पॉलिसी 18% 18%
फैमिली फ्लोटर (≤ ₹10 लाख) 18% 12%
सीनियर सिटीजन पॉलिसी 18% 12%
प्रिवेंटिव/वेलनेस एड-ऑन 18% 5%
कॉरपोरेट ग्रुप पॉलिसी 18% 18%
सरकारी/चैरिटेबल अस्पताल सेवाएं 0% 0%
राष्ट्रीय टीकाकरण एवं ब्लड बैंक 0% 0%
निष्कर्ष

GST Reforms 2025 को भारत की कर प्रणाली और स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

जनता को मिलेगा सस्ता बीमा और 0% जीएसटी स्वास्थ्य सेवाएं।

बीमा उद्योग को नए ग्राहक और बाजार का विस्तार।

सरकार को अल्पकालिक राजस्व में कमी लेकिन दीर्घकालिक स्वास्थ्य और आर्थिक लाभ।

यह फैसला बताता है कि सरकार सिर्फ तात्कालिक कर वसूली पर नहीं, बल्कि दीर्घकालिक सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक विकास पर ध्यान दे रही है।

mtdhoriya
जीएसटी दरों में यह कटौती एक साहसिक कदम है। यह न केवल नागरिकों को राहत देगा, बल्कि लंबे समय में सरकार की स्वास्थ्य संबंधी जिम्मेदारियों को भी हल्का करेगा। अगर बीमा कवरेज तेजी से बढ़ा तो आने वाले वर्षों में यह सुधार भारत के हेल्थ सेक्टर के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

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