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सिंघौरा पंचायत में मुरुम घोटाला! समूचे संभाग में नहीं खदान, फिर कहां से आ रहा मुरूम

जैतहरी/अनूपपुर।
जिले की पंचायतों में भ्रष्टाचार की परतें एक-एक कर खुलती जा रही हैं। जैतहरी जनपद की ग्राम पंचायत सिंघौरा में नया मामला सामने आया है, जहां पुलिया निर्माण के लिए मुरुम आपूर्ति का बिल पास कर भुगतान कर दिया गया।

जानकारी के अनुसार सप्लायर नंदलाल गुप्ता ने पंचायत को 12 ट्राली मुरुम दिए जाने का दावा किया है। प्रति ट्राली 650 रुपए की दर से कुल 7,800 रुपए का बिल बनाकर भुगतान भी कर दिया गया।

सबसे बड़ा सवाल — मुरुम आया कहां से?
पूरे संभाग में कहीं भी मुरुम की खदान नहीं है, फिर भी पंचायत में ट्राली–ट्राली मुरुम का पहुंचना गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से कागजी हेराफेरी कर अवैध खनन व परिवहन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

ग्राम पंचायत सचिव करनसाय यादव का कहना है कि मुरुम की आपूर्ति वास्तविक है और इसका उपयोग पुलिया निर्माण में हुआ है। लेकिन ग्रामीणों की शंका है कि जब संभाग में खदान ही नहीं है तो यह मुरुम आया कहां से?

नियम साफ कहते हैं…
खनिज विभाग के अनुसार, बिना लाइसेंस खनन और परिवहन पूर्णतः अवैध है। पंचायत कार्यों में खनिज का उपयोग तभी संभव है जब वह वैध स्रोत से खरीदा गया हो और शासकीय दस्तावेज मौजूद हों। ऐसे में सिंघौरा पंचायत का यह मामला नियमों के उल्लंघन की ओर इशारा करता है।

ग्रामीणों की मांग – हो जांच और सख्त कार्रवाई
ग्रामीणों ने खनिज विभाग से पूरे मामले की जांच की मांग की है। उनका कहना है कि जिम्मेदारों पर कठोर कार्रवाई न हुई तो यह गड़बड़ी पूरे जिले में बड़े घोटाले का रूप ले सकती है।

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