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योगासन स्पोर्ट्स एलायंस एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी से मुलाकात, पारम्परिक खेलों को बढ़ावा देने पर हुई चर्चा

योगासन स्पोर्ट्स एलायंस एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी से मुलाकात, पारम्परिक खेलों को बढ़ावा देने पर हुई चर्चा......

मोहनलालगंज।लखनऊ, लखनऊ योगासन स्पोर्ट्स एलायंस एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी अवनीश पाण्डेय से मंगलवार को एक विशेष मुलाकात हुई। इस दौरान लखनऊ शहर एवं इसके परिक्षेत्र में योग के साथ-साथ विलुप्तप्राय भारतीय पारम्परिक खेलों को पुनर्जीवित करने और उन्हें प्रोत्साहित करने पर विस्तार से चर्चा की गई।
बैठक में विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया गया कि आज के समय में आधुनिक खेलों और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के बढ़ते प्रभाव से पारम्परिक भारतीय खेल धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं। कबड्डी, खो-खो, गिल्ली-डंडा, रस्साकशी और मलखंब जैसे खेल, जो कभी गांव-गांव और मोहल्लों की पहचान हुआ करते थे, अब केवल स्मृतियों तक सीमित हो रहे हैं।इस पर चिंता व्यक्त करते हुए यह निर्णय लिया गया कि एसोसिएशन की ओर से निकट भविष्य में योग के साथ-साथ इन पारम्परिक खेलों की प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की जाएंगी, ताकि नई पीढ़ी भारतीय संस्कृति और खेलों की इस धरोहर से जुड़ सके।मुलाकात के दौरान पत्रकार अवनीश पाण्डेय ने भरोसा दिलाया कि वह हर संभव मदद उपलब्ध कराएंगे और खेलों के प्रोत्साहन हेतु प्रशासनिक एवं सामाजिक सहयोग सुनिश्चित करने में भी योगदान देंगे। उन्होंने कहा कि योग और पारम्परिक खेल न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं, बल्कि समाज में भाईचारे और टीम भावना को भी मजबूत करते हैं।प्राप्त जानकारी के अनुसार, आने वाले महीनों में लखनऊ और आसपास के क्षेत्रों में योग व पारम्परिक खेल महोत्सव” आयोजित करने की योजना है। इसमें स्कूली बच्चों और युवाओं के लिए योगासन प्रतियोगिताएँ,ग्रामीण अंचल की टीमों के बीच कबड्डी एवं खो-खो टूर्नामेंट,गिल्ली-डंडा व रस्साकशी प्रतियोगिता,तथा पारम्परिक खेल मलखंब का विशेष प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा।
साथ ही, एसोसिएशन का उद्देश्य है कि इस महोत्सव को प्रतिवर्ष नियमित रूप से आयोजित कर स्थानीय प्रतिभाओं को मंच प्रदान किया जाए। आयोजन को सफल बनाने के लिए स्कूलों, सामाजिक संस्थाओं और प्रशासन का सहयोग भी लिया जाएगा।स्थानीय लोगों और खेल प्रेमियों ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि यदि इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाते हैं तो निश्चय ही लखनऊ और आसपास के क्षेत्रों में पारम्परिक खेलों की पहचान पुनः स्थापित होगी।

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