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महान कौन

जो मानव दूसरों की सेवा करता है, दूसरे के काम आता है, सचमुच वहीं महान है।मानव धन से धनवान,बल से बलवान, विद्या से विद्वान एवं बुद्धि से बुद्धिमान होता है , लेकिन महान नहीं होता है। विद्या,धन,बल एवं बुद्धि की पूंजा नहीं होती है। पूजा होती है मानव की अच्छाई और भलाई गुणवाले व्यक्ति की। ऊंचे कुल या धनी व्यक्ति एवं विद्वान की संतान हो जाने से महान नहीं हो सकता। जो मानव सेवा को धर्म बना लिया है । जिन्होंने त्याग और परोपकार में जीवन बीताया। वहीं महान है। जो भूखे रहकर, दीन दुखियों का दुःख दूर कर, भूखे रहकर दूसरे को आनंद पहूंचाने वाले मानव ही महान है। महान मानव यथा:-अयाची मिश्र, स्वामी विवेकानंद, कबीर, बुद्ध,रैदास, ज्वोतिबा राय, सावित्री बाई फूले, भगतसिंह, सुभाष चन्द्र बोस, खुदीराम बोस, उधम सिंह एवं डॉ भीमराव अम्बेडकर साहेब वगैरह-वगैरह,जिसे दुनिया जानती है। महान वे हैं।जो सरकार की तनख्वाह लेकर स्वार्थ वश सेवा करता है , वह महान नहीं हो सकता। विनोबा भावे महानों में से एक हैं। मंत्री संतरी का नाम भारतीय सभी का जानता भी नहीं है।
मानवता की क्या पहचान, ब्राह्मण भंगी एक समान। जो गरीब की हित करें वो रहिम बड़ लोग। जो गरीब का दमन करें, मानव मानव में भेद भाव ,नीच उंच का भेद भाव रखें वह दो पैर बाला दानव, पूंछ विहीन दानव ‌ही है।
जागेश्वर मोची, मधुबनी संवाददाता ।

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