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सिंधी समाज को भी जरूरत है एक जुबिन गर्ग की : नितिन कालरा

नई दिल्ली ।गत दिवस आसाम के लोक गीतों के लिए प्रसिद्ध गायक जुबिन गर्ग की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई ।हैरान करने वाली बात यह रही की उनकी अंतिम यात्रा में लाखों लोग शामिल हुए जिसके चलते लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में इस शव यात्रा को दर्ज किया गया ।बताया जा रहा है की माइकल जैक्सन के बाद सबसे ज्यादा भीड़ किसी गायक की शव यात्रा में शामिल हुई तो वह जुबिन गर्ग में शामिल हुई ।बॉलीवुड में एक गीत गाया या अली और उसके बाद क्षेत्रीय भाषा में ही खुद को केंद्रित किया और जनता से इतना प्यार पाया ।इंडस सिंधु ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष नितिन कालरा बताते है की सिंधी लोक संगीत भी प्राचीनतम संगीत कला संस्कृति में से एक है जिसमें कई प्रसिद्ध फनकार हुए जैसे मास्टर चंदर, भगवंती नैनवानी,जरीना बलोच जिनके लाङ्डे विश्व प्रसिद्ध है ,सनम मरावी और राम पंजवानी,पंकज जैसवानी इत्यादि।लेकिन पिछले कई वर्षों से दुर्भाग्यपूर्ण है की सिंधी समाज में कोई ऐसा गायक नहीं है विशेष कर भारत में जिसकी खुद की लिखी और गाया कोई गीत सुनने को मिला हो।सब के सब पुराने गीत नए अंदाज में गा कर अपना काम चला रहे है ।हां अपने नाम के आगे जरूर सुपरस्टार ,मेगास्टार जैसी उपाधि खुद से लगा ली है लेकिन ऑर्जिनलिटी के नाम पर कुछ खास नहीं ।हिंदी गीतों को सिंधी में गा के लोकप्रियता तो हासिल कर ली है लेकिन सिंधी संगीत को फिर एक बार उस ऊंचे मुकाम पर बरकरार रखने में सफल नहीं हो सके है ।ऐसे में जरूरत है की कोई जुबिन गर्ग जैसा गायक सिंधी समाज में जन्म ले ।

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