वृंदावन- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया ठाकुर बांके बिहारी जी के दर्शन 🙏🌺❤️ऑनलाइन माध्यम से मुफ़्त गीता सीखें 18 दिन मे मुफ़्त प्रमाणपत्र💫 👇
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू गुरुवार को वृन्दावन के एक दिवसीय दौरे पर पहुंची और विभिन्न मंदिरों में दर्शन-पूजन किया। राष्ट्रपति ने अपने दौरे के दौरान ठाकुर बांकेबिहारी के दर्शन किये और निधिवन पहुंच राधारानी की प्राकट्य स्थली निहारी एवं स्वामी हरिदास की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके प्रति सम्मान प्रकट किया। उन्होंने सुदामा कुटी में संस्थापक स्वामी सुदामा दास महाराज की जन्मशती पर उनकी भजन स्थली का लोकार्पण किया।🙏🌺❤️
विश्व फार्मासिस्ट दिवस की सभी फार्मासिस्टों को हार्दिक शुभकामनाएं आप लोगों की मेहनत के कारण ही दवाइयाँ लोगों तक पहुंच रही हैं।
प्रयाग फार्मेसी श्रील प्रभुपाद के आध्यात्मिक जीवन के एक महत्वपूर्ण हिस्से का प्रतिनिधित्व करती है, जो उनके वैश्विक मिशन पर निकलने से पहले के उनके प्रारंभिक व्यावसायिक प्रयासों को प्रदर्शित करती है।
कॉलेज से स्नातक होने के बाद, श्रील प्रभुपाद ने फार्मास्यूटिकल्स में अपना करियर शुरू किया और बाद में इलाहाबाद में अपनी खुद की दवा कंपनी खोली।पूर्व व्यवसाय, प्रयाग फार्मेसी को संदर्भित करता है, जिसका स्वामित्व और संचालन ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (1896-1977) द्वारा इलाहाबाद (प्रयागराज), भारत में लगभग 1918 से 1950 तक किया गया था।
इसमें उनके दवा क्षेत्र में व्यवसायी होने की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला गया है, जिसके बाद उन्होंने अंततः त्याग दिया और आध्यात्मिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया।
यह फार्मेसी, उस भवन में स्थित है जो अब बैंक के रूप में कार्य करता है, यह उनके शुरुआती व्यावसायिक करियर का प्रमाण है, इससे पहले कि उन्होंने अपना जीवन हरे कृष्ण आंदोलन के प्रसार के लिए समर्पित कर दिया।
देश के समस्त किसान भाइयों एवं बहनों को किसान विजय सम्मान दिवस
की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
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कोई व्यक्ति पवित्रता के उस स्तर को कैसे प्राप्त कर सकता है? कृष्ण कहते हैं कि 'जो व्यक्ति बिना किसी विचलन के मेरी भक्ति में लगा रहता है,' अर्थात् चौबीस घंटे कृष्ण भावनामृत में रहता है, 'वह शुद्ध है।' वह शुद्ध है।
यदि तुम स्वयं को सदैव, निरंतर कृष्ण भावनामृत में रख सको, सदैव कृष्ण का चिंतन करते रहो, तो तुम शुद्ध हो।"
(श्रील प्रभुपाद,25 सितंबर 1968, सियाटैल)
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हम अपने अनुयायियों/शिक्षार्थियों को यही परामर्श देते हैं, कि हरे कृष्ण महामंत्र का जप करें आप स्वयं को कृष्णभावनामय स्थिति में स्थिर रखें, बिना मार्ग से भटके हुए, तभी आप अपनी विशुद्धता बनाए रख पाएंगे।
(श्रील प्रभुपाद,25 सितंबर 1968, सियाटैल)
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वस्त्र दूसरों की पसन्द के अनुसार पहनने चाहिए और भोजन अपने स्वादानुसार स्वीकार करना चाहिए।
(श्रील प्रभुपाद, रक्तक को पत्र, 25 सितम्बर 1969 )
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ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद और हमारी गुरुपरंपरा की जय हो।"संदर्भ: भगवद् गीता 4.1- 4.3। क्या आपको पता है अर्जुन से भी पहले भगवत गीता का ज्ञान करोडो वर्ष पहले सूर्य देव को दिया गया था?
https://aimamedia.org/newsdetails.aspx?nid=496696&y=1
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Bhagavad Gita Verse Of the Day: Chapter 18, Verse 77💫👇
तच्च संस्मृत्य संस्मृत्य रूपमत्यद्भुतं हरे: |
विस्मयो मे महानराजन्हृष्यामि च पुन: पुन: || 77||
तत्-उस; च–भी; संस्मृत्य-संस्मृत्य-बार-बार स्मरण करके; रूपम्-विराट रूप को; अति-अत्यधिक; अद्भुतम्-आश्चर्यजनक; हरे:-भगवान् श्रीकृष्ण के; विस्मय:-आश्चर्य; मे-मेरा; महान महान; राजन्– राजा; हृष्यामि मैं हर्ष से रोमांचित हो रहा हूँ; च-और; पुनः-पुनः-बारम्बार।
Translation💫👇
BG 18.77: भगवान श्रीकृष्ण के अति विस्मयकारी विश्व रूप का स्मरण कर मैं अति चकित और बार-बार हर्ष से रोमांचित हो रहा हूँ।
Commentary💫👇
अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से उनके विराट रूप का दर्शन करने के लिए दिव्य दृष्टि प्राप्त हुई थी उस रूप को विरले योगी ही देख सकते हैं। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि वे उसे अपना विराट रूप दिखा रहे हैं क्योंकि अर्जुन उनका भक्त और सखा था और इसलिए वह उनका अति प्रिय था। संजय भी भगवान के विराट रूप को देख सके क्योंकि सौभाग्यवश वह भगवान की लीला में सूत्रधार की भूमिका का निर्वहन कर रहे थे। जीवन में कई बार ऐसे अवसर आते हैं जब हमें अकारण कृपा प्राप्त होती है। यदि हम उचित ढंग से इसका प्रयोग करते हैं तब हम तीव्रता से अपनी साधना में उन्नति करते हैं। संजय ने जो देखा उसका वह बार-बार चिन्तन कर रहा है और भक्ति की धारा में बह रहा है।
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मंगलाचरण 💫👇
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय,ॐ नमो भगवते वासुदेवाय,ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
1) ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जलाकया ।
चक्षुरुन्मिलितं येन तस्मै श्रीगुरुवे नम: ।।
श्री चैतन्यमनोऽभीष्टं स्थापितं येन भूतले ।
स्वयं रूप: कदा मह्यंददाति स्वपदान्न्तिकम् ।।
2) वन्देऽहं श्रीगुरो: श्रीयुतपदकमलं श्रीगुरुन् वैष्णवांचश्र ।
श्रीरूपं साग्रजातं सहगणरघुनाथनविथं तं सजीवम् ।।
सद्वैतं सावधूतं परिजनहितं कृष्णचैतन्यदेवं ।
श्रीराधाकृष्णपादान सहगणललिताश्रीविशाखानन्विताशार्च ।।
3) हे कृष्ण करुणासिन्धो दीनबन्धो जगत्पते ।
गोपेश गोपिकाकान्त राधाकान्त नमोऽस्तु ते।।
तप्तकाञ्चनगौरंगी राधे वृंदावनेश्वरी।
वृषभानुसुते देवि प्रणमामि हरिप्रिये।
4) वाञ्छाकल्पतरुभ्यश्र्च कृपासिंधुभय एव च।
पतितानां पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमो नामः ।।
जय श्रीकृष्ण-चैतन्य प्रभु नित्यानन्द।
श्रीअद्वैत गदाधर श्रीवासादि गौरभक्तवृन्द।।
5) नम ॐ विष्णु-पादाय कृष्ण-प्रेष्ठाय भूतले
श्रीमते भक्तिवेदांत-स्वामिन् इति नामिने ।
नमस्ते सारस्वते देवे गौर-वाणी-प्रचारिणे
निर्विशेष-शून्यवादि-पाश्चात्य-देश-तारिणे ॥
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
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*तुलसी प्रणाम मंत्र*💫👇
वृन्दायै तुलसी देवयायै प्रियायै केशवस्य च।
कृष्णभक्ति प्रद देवी सत्यवत्यै नमो नमः॥
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*वैष्णव प्रणाम मंत्र*💫👇
वाञ्छाकल्पतरुभ्यश्र्च कृपासिंधुभय एव च।
पतितानां पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमो नामः ।।
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कलि-काले नाम-रूपे कृष्ण-अवतार । नाम हैते हय सर्व-जगत्निस्तार ।।
इस कलियुग में भगवान् के पवित्र नाम अर्थात् हरे कृष्ण महामंत्र भगवान् कृष्ण का अवतार है। केवल पवित्र नाम के कीर्तन से मनुष्य भगवान् की प्रत्यक्ष संगति कर सकता है। जो कोई भी ऐसा करता है, उसका निश्चित रूप से उद्धार हो जाता है।
महामंत्र 💫👉हरे कृष्ण हरे कृष्ण , कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम , राम राम हरे हरे।।
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हार्दिक शुभकामनाएं,
Jeetendra Sharan 💫🤳
🌐https://omtext.wixsite.com/inaryavart
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