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ईशा हत्याकांड में दोषी पाए जाने वाला दरोगा ज्ञानेंद्र सिंह को हुई उम्र कैद, लगा 60 हजार का जुर्माना*

कानपुर दस साल पहले ईशा नाम की महिला की हुई हत्या में उसके पति दरोगा ज्ञानेंद्र सिंह को दोषी पाए जाने पर उम्र कैद की सजा सुनाई गई है,काकादेव के नवीननगर निवासी विनीता सचान की बेटी ईशा ने पूर्व में मूसानगर थानाध्यक्ष रहे चित्रकूट निवासी ज्ञानेंद्र सिंह से 10 मार्च 2013 को शादी हुई थी। इसी साल उन्हें एक बच्चा भी हो गया, लेकिन अचानक एक दिन ईशा को ज्ञानेंद्र के पहले से शादीशुदा होने की जानकारी मिली, तो दोनों में विवाद हो गया था। उसके बाद ईशा मायके आ गई थी,फिर वर्ष 2015 में ईशा के मामा ने अपने घर पर दोनों को बुलाकर समझौता करा दिया। 18 मई 2015 को ज्ञानेंद्र ईशा के मायके पहुंचा और मां विनीता सचान से उनकी कार लेकर ईशा को मुक्तादेवी मंदिर में दर्शन कराने की बात कहकर साथ ले गया था, वहीं उसके बाद ईशा की अपनी मां विनीता सचान से रात आठ बजे तक बात होती रही थी,लेकिन इसके बाद ईशा और ज्ञानेंद्र दोनों का फोन बंद हो गया। विनीता ने काकादेव थाने में जाकर दरोगा ज्ञानेंद्र के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। उसके बाद 22 मई को काकादेव एसओ को कौशांबी के महेवा घाट में एक सिरकटी लाश मिलने की सूचना मिली। काकादेव पुलिस ने ईशा के परिवार वालों को जानकारी दी,इस पर विनीता अपने बेटे ऐश्वर्य राज, भाई अजय सचान के साथ कौशांबी पहुंचीं, जहां टैटू, उंगली पर बंधी पट्टी, हाथ घड़ी व कुछ गहनों को देखकर विनीता ने शव की शिनाख्त अपनी बेटी ईशा के रूप में की थी। बताया जाता है कि मार्च 2012 में नजीराबाद क्षेत्र में ईशा का पर्स कुछ बदमाशों ने छीन लिया था। तभी ईशा अपने छीने हुए पर्श और बदमाशों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने गुमटी नंबर पांच चौकी पहुंची। वहां उसकी मुलाकात चौकी इंचार्ज ज्ञानेंद्र सिंह से हुई। मामले की पूछताछ के बहाने पर दरोगा ज्ञानेंद्र सिंह ईशा के घर आने-जाने लगा और कुछ दिन में चोरों को पकड़कर ईशा का मोबाइल बरामद कर लिया। ज्ञानेंद्र ने इसी के बाद ईशा से लगातार बात करके उसे अपने प्रेमजाल में फंसा लिया था। इसके बाद ज्ञानेंद्र ने पहले से शादीशुदा होने की बात को छिपाकर 10 मार्च 2013 को ईशा से शादी कर ली थी। जिसकी जानकारी ईशा को हुई तो दोनों के बीच विवाद भी हो गया था लेकिन ईशा के मामा ने दोनों के बीच आपसी समझौता भी करवा दिया था। लेकिन ईशा और ज्ञानेंद्र सिंह की शादी के बाद शादी के बाद ईशा ने एक बेटी को जन्म दिया, तो नानी की खुशी का ठिकाना नहीं था। तभी एक दिन ईशा को ज्ञानेंद्र के पहले से शादीशुदा व दो बच्चों के बाप होने का पता चला। इसी के बाद पति-पत्नी में विवाद शुरू हुआ। बाद में समझौते के नाम पर ईशा को अपने साथ ले जाकर उसकी हत्या कर दी थी। ईशा की डेढ़ साल की बेटी अपनी नानी के पास ही थी। हत्या के बाद ज्ञानेंद्र सिंह जेल में बंद था और फिर अब 10 साल बाद कोर्ट का फैसला सुनाया गया कोर्ट का फैसला सुनने के लिए मां के साथ ईशा का भाई ऐश्वर्य भी पहुंचा था। हत्या में आरोपी पाया गया दरोगा ज्ञानेंद्र सिंह को उम्र कैद की सजा सुनाई गई लेकिन बाकी आरोपियों को बरी कर दिया गया है, वहीं मृतक ईशा के भाई ने अपनी आखिरी सांस तक लड़ने की कसम खाने की बात जरूर कही है।वहीं अधिवक्ता सुधीर कुमार द्विवेदी के अनुसार कोर्ट में कोई ठोस सबूत पेश न कर पाने के चलते कोर्ट ने मनीष, बच्चा, अर्जुन, अवंतिका और आदर्श को आरोपों से बरी किया है। ज्ञानेंद्र के अलावा पांचों आरोपियों को पूर्व में ही कोर्ट से जमानत मिल गई थी। वहीं ईशा हत्याकांड में दोषी पाया जाने वाला पूर्व दरोगा ज्ञानेंद्र सिंह को अपर जिला जज चतुर्थ शुचि श्रीवास्तव ने उम्रकैद और 60 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। ईशा की हत्या सिर धड़ से अलग करके की गई थी। पुलिस को उसका धड़ तो मिल गया था, लेकिन सिर बरामद नहीं हो सका था। सबूत के अभाव में पांच अन्य आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। ज्ञानेंद्र ने आठ जून 2015 को कोर्ट में समर्पण किया था और तब से वह जेल में ही बंद था।ज्ञानेंद्र शहर के कई थानों में थानाध्यक्ष और एसएसआई के पद पर तैनात रह चुका था। हत्या में दोषी पाए जाने वाला दरोगा की शादी मध्यप्रदेश के सतना के बछरावा की रहने वाली नीलम से पहली शादी हुई थी। ईशा को अपने प्रेम जाल में फंसाकर उसने उससे दूसरी शादी की थी।

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