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अस्पतालों में पार्किंग की लूट- इंसानियत से पैसा बढ़ा।।

अस्पतालों में पार्किंग की लूट – इंसानियत से बड़ा पैसा?

अस्पताल वह जगह है जहाँ हर शख्स टूटा हुआ आता है – कोई बीमारी से जूझ रहा है, कोई अपने प्रियजन की साँसों की लड़ाई लड़ रहा है। यहाँ हर पल चिंता, आँसू और दुआओं से भरा होता है। ऐसे कठिन समय में भी जब अस्पताल के बाहर पार्किंग ठेकेदार हर चार-चार घंटे बाद नया शुल्क वसूलते हैं, तो लगता है जैसे दर्द से कराहते इंसान के ज़ख्मों पर नमक छिड़का जा रहा हो।

क्या गरीब हो, क्या अमीर – बीमारी सबको समान रूप से तोड़ती है। इलाज का खर्च पहले से ही आसमान छू रहा है और ऊपर से हर चार घंटे पर पार्किंग का नया पर्चा थमा दिया जाता है। सोचिए, वह बेटा जो ICU में माँ की जिंदगी की भीख माँग रहा है, क्या उसे बार-बार बाहर आकर पार्किंग का हिसाब देना चाहिए?

12 रुपये एक बार का शुल्क हो और कम से कम 12 घंटे तक गाड़ी सुरक्षित खड़ी रहे। यही इंसानियत है, यही न्याय है।
लेकिन आज हालात यह हैं कि अस्पताल में सेवा से ज्यादा वसूली पर जोर है।

सरकार और प्रशासन से निवेदन है –
अस्पताल में आए हर इंसान को रोग और दुख से लड़ने दें,
ना कि पार्किंग टिकट और ठेकेदार की लूट से।

अस्पताल सेवा का मंदिर है, इसे व्यापार नहीं बनाऐं।।

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