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शाहपुर पटोरी : जाम की बीमारी और बेअसर इलाज

शाहपुर पटोरी नगर परिषद क्षेत्र की यातायात व्यवस्था आज एक गंभीर 'बीमारी' बन चुकी है, जहाँ **जाम की समस्या** एक आम और रोजाना का सिरदर्द बन गई है। यह विडंबना ही है कि शहर के मुख्य मार्ग के लिए सरकार के पास पर्याप्त चौड़ी जमीन उपलब्ध है, जिस पर आसानी से दो लेन का मार्ग (Two-Lane Road) बनाया जा सकता है, फिर भी शहरवासी प्रतिदिन इस भीषण समस्या से जूझने को मजबूर हैं। यह केवल यातायात की धीमी गति का मामला नहीं है, बल्कि यह समय, ऊर्जा और स्थानीय अर्थव्यवस्था का बड़ा नुकसान है।

शहर के मुख्य मार्ग पर जाम लगने के पीछे तीन **प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण** हैं, जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है:

1. अवैध वसूली और तिपहिया वाहनों का अतिक्रमण ; जाम का सबसे बड़ा और पहला कारण **चंदन चौक** और **कवि चौक** जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर **तिपहिया सवारी गाड़ियों** (ऑटो/ई-रिक्शा) से होने वाली **अवैध वसूली** है।

* वाहन मालिक अवैध रूप से पैसे देकर इन चौकों पर अपनी गाड़ियाँ मनमाने ढंग से खड़ी रखते हैं।
* इसका उद्देश्य यात्रियों को पकड़ना होता है, जिसके चलते ये चौक बस स्टैंड में बदल जाते हैं और सड़क का एक बड़ा हिस्सा हमेशा घिरा रहता है।
* यह स्थिति यातायात के प्रवाह को पूरी तरह से बाधित कर देती है और जाम का मुख्य केंद्र बनती है।

2. सड़क के बीचों-बीच बिजली के खंभे : दूसरा प्रमुख कारण है **मुख्य सड़क के बीचों-बीच खड़े बिजली के खंभे**। ये खंभे न केवल सड़क की चौड़ाई को कम करते हैं, बल्कि वाहन चालकों के लिए भी खतरा पैदा करते हैं। पर्याप्त चौड़ाई वाली सड़क होने के बावजूद, इन खंभों की वजह से मार्ग संकरा हो जाता है और छोटी सी रुकावट भी बड़े जाम में बदल जाती है।

3. दुकानदारों का सड़क तक अतिक्रमण और प्रशासनिक मिलीभगत : तीसरा और सबसे दृश्यमान कारण है **दुकानदारों द्वारा सड़क तक अतिक्रमण** करना।

* दुकानें अपनी सीमा लांघकर सड़क तक फैल जाती हैं, जिससे पैदल चलने वालों और वाहनों के लिए जगह नहीं बचती।
* बाजार क्षेत्र में तो स्थिति और भी भयावह है, जहाँ **फल विक्रेता मुख्य सड़क के बीचों-बीच** अपनी दुकानें सजा लेते हैं।
* सबसे गंभीर बात यह है कि इन सभी मामलों में **प्रशासन की निष्क्रियता और मिलीभगत** साफ़ नज़र आती है। प्रशासन के वाहन दिन में कई बार शहर से गुजरते हैं, लेकिन किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप या कार्रवाई नहीं की जाती, जिससे अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद होते हैं।

कार्रवाई पर सवाल: अतिक्रमण हटाओ अभियान की 'नियत' ::

प्रशासन की कार्यप्रणाली तब और भी संदिग्ध हो जाती है, जब हाल ही में दुर्गा पूजा के मद्देनजर जाम से मुक्ति के लिए **अतिक्रमण हटाओ अभियान** चलाया गया। यह कार्रवाई केवल कुछ चुनिंदा दुकानदारों के सामने ही 'तोड़-फोड़' तक सीमित रही।

* यह अभियान **कवि चौक से लेकर मुख्य बाजार** और पुरानी बाजार से चंदन चौक तक कहीं भी प्रभावी रूप से लागू नहीं हुआ।
* पूरे शहर में अतिक्रमण का कोई असर नहीं दिखा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि या तो अभियान की **नियत** साफ नहीं थी, या फिर **प्रशासन का दबाव कुछ ख़ास जगहों पर ही काम करता है।

शाहपुर पटोरी की यह स्थिति केवल एक **ट्रैफिक समस्या** नहीं है, बल्कि यह **प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी** और **कानून के ढीले कार्यान्वयन** को दर्शाती है।

सरकार और जनप्रतिनिधियों को यह समझना होगा कि चौड़ी सड़क बनाने की योजना तब तक सफल नहीं हो सकती, जब तक इन तीन मुख्य कारणों को जड़ से समाप्त नहीं किया जाता।

आवश्यकता इस बात की है कि:
1. "अवैध वसूली" के सिंडिकेट को तोड़कर, तिपहिया वाहनों के लिए शहर से बाहर **एक निर्धारित स्टैंड** बनाया जाए।
2. सड़क के बीचों-बीच लगे **बिजली के खंभों** को अविलंब स्थानांतरित किया जाए।
3. **अतिक्रमण के खिलाफ एक स्थायी और निष्पक्ष अभियान** चलाया जाए, जो शहर के हर कोने में सख्ती से लागू हो।

शहर के विकास के लिए तत्काल और कठोर कदम उठाना समय की मांग है, अन्यथा शाहपुर पटोरी का मुख्य मार्ग जल्द ही एक **स्थायी पार्किंग स्थल** बनकर रह जाएगा।

मनीष सिंह
शाहपुर पटोरी
@ManishSingh_PT

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1 comment  
  • Vijay Kumar Sharma

    Right you are right....