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पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा विकसित भारत में पशु चिकित्सकों की भूमिका विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया।

उत्तर प्रदेश पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान मथुरा द्वारा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अभिजित मित्र की अध्यक्षता में विकसित भारत में पशु चिकित्सकों की भूमिका विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया । अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. मित्र ने कहा कि पशुधन से प्राप्त होने वाले विभिन्न उत्पाद जैसे दूध, दही, घी, मक्खन, पनीर, मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक हैं । हमारे देश में पशुपालन मुख्यतया महिला शक्ति द्वारा किया जाता है । हमें अच्छी उत्पादकता तथा प्रजाति के देसी नस्ल के पशुओं के पालन एवं संवर्धन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है । जिससे पशुपालक कृषक आर्थिक रूप से मजबूत एवं स्वावलंबी हो सके। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय पशु चिकित्सा परिषद, नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. उमेश चंद्र शर्मा ने अपने उद्बोधन में बताया कि हमारा देश इतिहास काल से ही पशुधन में समृद्ध रहा है । पहले हम विदेश से दूध पाउडर आयात करते थे लेकिन आज भारत का दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान हैं । पशुपालन हमारे देश में मुख्यतया सीमांत तथा लघु कृषकों द्वारा किया जाता है। जिसमें महिला शक्ति का अहम योगदान है । पशु चिकित्सक, पशु संरक्षण एवं संवर्धन में अहम भूमिका निभाते हैं । हमें विभिन्न प्रकार की जूनोटिक बीमारियों जैसे ट्यूबरक्लोसिस, ब्रूसेलोसिस आदि के बारे में जागरूक रहने की आवश्यकता है । पशुपालन से हम जैविक खेती को बढ़ावा देकर प्रकृति को सुरक्षित तथा मानव स्वास्थ्य को अच्छा कर सकते हैं। प्रो. विकास पाठक, अधिष्ठाता, पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय ने आगंतुकों का स्वागत एवं अभिनंदन किया । इस अवसर पर विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षक तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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