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BSNL का 4G : नई उम्मीद या पुरानी निराशा की पुनरावृत्ति ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा BSNL के स्वदेशी 4G नेटवर्क की शुरुआत ने देश के दूरसंचार परिदृश्य में एक नई बहस छेड़ दी है। एक ओर, यह 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में एक बड़ा कदम है, जहां भारत खुद स्वदेशी तकनीक पर 4G सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर तैयार कर दुनिया के टॉप 5 देशों में शामिल हो गया है। लगभग 98,000 साइटों पर 4G सर्विस की शुरुआत, विशेष रूप से देश के दूर-दराज के और ग्रामीण इलाकों में कनेक्टिविटी पहुँचाने के उद्देश्य से, एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

मगर, निजी टेलीकॉम ऑपरेटरों (जैसे Jio और Airtel) के 4G लॉन्च के वर्षों बाद BSNL का इस दौड़ में शामिल होना, और उनका 5G पर ध्यान केंद्रित करना, कई सवाल खड़े करता है। और इन सवालों के केंद्र में है BSNL की 'घटिया सर्विस' की पुरानी छवि।

BSNL एक सरकारी कंपनी होने के बावजूद, दशकों से अपनी अविश्वसनीय सेवा और पुरानी तकनीक के लिए जानी जाती रही है। भले ही BSNL के रिचार्ज प्लान अक्सर निजी कंपनियों से सस्ते होते हैं, लेकिन ग्राहक हमेशा बेहतर सेवा को प्राथमिकता देते हैं। BSNL की सेवा को लेकर उपभोक्ताओं की शिकायतें हमेशा से एक जैसी रही हैं:

नेटवर्क की समस्या:सबसे बड़ी और आम शिकायत है कमजोर नेटवर्क कनेक्टिविटी की। शहरों में भी कॉल ड्रॉप, इंटरनेट की धीमी गति और बार-बार नेटवर्क चले जाना एक बड़ी परेशानी है। ख़ासकर घरों के अंदर या बेसमेंट में तो सिग्नल मिलना किसी चुनौती से कम नहीं होता।

3G/2G पर निर्भरता:4G रोलआउट से पहले तक, कंपनी बड़े पैमाने पर 3G और 2G पर ही निर्भर थी, जबकि निजी कंपनियां बहुत पहले ही 4G और फिर 5G में अपग्रेड कर चुकी थीं। इस भारी देरी ने BSNL के ग्राहकों को आधुनिक डिजिटल सुविधाओं से वंचित रखा।

ख़राब कस्टमर सर्विस:ग्राहकों की शिकायतें सुनने और उनका समाधान करने में भी BSNL की सेवा अक्सर लचर पाई गई है। किसी तकनीकी खराबी को ठीक होने में कई दिन या सप्ताह लग जाते हैं, जिससे उपभोक्ता निराश हो जाते हैं।

स्पेक्ट्रम से जुड़ी चुनौतियां:विशेषज्ञों का मानना है कि BSNL द्वारा 4G के लिए इस्तेमाल किए जा रहे 2100 MHz बैंड में कवरेज की क्षमता कम होती है, जिससे सेवा की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इसके विपरीत, निजी ऑपरेटर 900/1800 MHz बैंड का इस्तेमाल करते हैं, जो बेहतर कवरेज देते हैं।

क्या 4G रोलआउट से कुछ बदलेगा?

BSNL का 4G लॉन्च एक नई शुरुआत का प्रतीक है, और इसके पीछे सरकार का बड़ा समर्थन है। 4G नेटवर्क को 5G में अपग्रेड करने की क्षमता के साथ बनाया गया है, जिससे भविष्य में सुधार की गुंजाइश है। इस स्वदेशी 4G तकनीक का सबसे बड़ा लाभ उन ग्रामीण, दूर-दराज और आदिवासी क्षेत्रों को मिलेगा जहां निजी ऑपरेटरों ने अभी तक पूरी तरह से अपनी पैठ नहीं बनाई है। यह डिजिटल समावेशन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

BSNL के लिए 4G का लॉन्च एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, लेकिन सर्विस की गुणवत्ता के मामले में निजी ऑपरेटरों की बराबरी करने की राह अभी लंबी है। केवल तकनीक का होना ही पर्याप्त नहीं है; उस तकनीक को विश्वसनीयता और स्थिरता के साथ ग्राहकों तक पहुँचाना ही असली चुनौती है।

BSNL को अपनी पुरानी छवि को बदलने के लिए न केवल 4G की गति और कवरेज को बेहतर बनाना होगा, बल्कि अपनी ग्राहक सेवा और नेटवर्क प्रबंधन को भी मजबूत करना होगा। ग्राहकों को सस्ता प्लान नहीं, बल्कि विश्वसनीय कनेक्शन चाहिए, ताकि यह नई शुरुआत केवल एक सरकारी घोषणा न रहे, बल्कि सचमुच एक डिजिटल क्रांति बन सके।

क्या आपको लगता है कि BSNL का 4G नेटवर्क, निजी कंपनियों को टक्कर दे पाएगा? अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें ?

मनीष सिंह
शाहपुर पटोरी
@ManiahSingh_PT

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