विश्व नदी दिवस
कल्पना कीजिए कि यदि धरती पर नदियां ना होती तो जनजीवन कैसा होता? जीव जंतुओं की हालत क्या होती? नदियों के बगैर धरती पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी और यही कारण रहा की धरती के कल्याण के लिए देवी देवताओं की प्रार्थना पर नदियों ने धरती पर उतरना स्वीकार किया। वैसे तो पूरे विश्व में नदियों के महत्व को स्वीकारा गया है क्योंकि नदियों के बल पर ही विश्व के औद्योगिक संसाधनों का विकास हुआ है। नदिया प्रकृति को हरा भरा करने के साथ पेयजल सिंचाई एवं अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सहायक रही है। भारत विशेष में तो नदियों को माता के रूप में पूजा जाता है। यहां नदियों का जितना अधिक प्राकृतिक और औद्योगिक महत्व है उतना ही अधिक आध्यात्मिक। भारत में नदियों के उद्गम एवं तट तथा संगम को तीर्थ के रूप में पूजा जाता है। भारत में विशेष पर्व पर नदी स्नान की प्राचीन परंपरा रही है बड़े-बड़े ऋषि मुनियों एवं मनीषियों ने नदियों के तट पर ही तब करके सिद्धि प्राप्त की है। न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व में जीवनदायिनी नदियों के महत्व को सभी जानते हैं एवं समझते हैं इसके बावजूद नदियां अस्तित्व का संकट झेल रही है खासकर भारत में नदियों के महत्व को जानने के बावजूद नदियों की दुर्दशा को छिपी नहीं है।जीव जगत के लिहाज से नदियां विश्व की अनमोल धरोहर है इसे बचाए रखना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।आईये विश्व नदी दिवस पर हम नदियों की रक्षा का संकल्प ले।टीम मानवता परिवार और अरपा दाई संध्या आरती सेवा समिति की ओर से विश्व नदी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई।