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"भगत सिंह, विवेकानंद और बोस को समर्पित काव्यांजलि प्रतियोगिता सम्पन्न"


कोटा/तारे सीनियर सेकेंडरी स्कूल डडवाड़ा के रंगमंच हॉल में शहीद भगत सिंह, स्वामी विवेकानंद, सुभाष चंद्र बोस महापुरुषों को समर्पित एक काव्य प्रतियोगिता आयोजित की गई। जो हिंदी दिवस के उपलक्ष में रखी गई। अध्यक्षता स्कूल की प्रधानाचार्या नैना तारे ने की। मुख्य अतिथि भारत विकास परिषद के महासचिव अशोक वशिष्ठ, विशिष्ट विजय सातपुते और कार्यक्रम संयोजन का कार्य मीना मिश्रा देख रही थी। इस कार्यक्रम का संचालन सौम्या सिंह ने सफलतापूर्वक किया। अन्य व्यवस्थाएं मनीषा भाटिया, उपासना कच्छावा और लक्ष्मी संभाल रही थीं।
"गिर जाना मेरा अंत नहीं,कुछ करना है तो हट कर ही चलना होगा,अब गोविंद ना आएंगे"जैसी सशक्त रचनाओं ने निर्णायकों ,विद्यालय के पदाधिकारियों एवं श्रोताओं का मन मोह लिया। कार्यक्रम में डॉ रघुराज सिंह कर्मयोगी,कालीचरण राजपूत और मनु वशिष्ठ निर्णायकों भूमिका में थे। जिन्होंने बच्चों द्वारा प्रस्तुत कविताओं का निष्पक्ष मूल्यांकन किया। यह प्रतियोगिता तीन चरणों में रखी गई। विजेता बच्चों का परिणाम निम्न प्रकार रहा -
छोटे बच्चे - अनुष्का शर्मा कक्षा 4 प्रथम स्थान
तेजस लेले कक्षा 4 द्वितीय स्थान
जूनियर - रागिनी कक्षा 6 प्रथम स्थान
‌ राधिका कक्षा 8 द्वितीय स्थान
सीनियर - दिव्यांशी भाटिया प्रथम स्थान
सुहाना द्वितीय स्थान
निर्णायकों एवं अतिथियों द्वारा बच्चों को जब पुरस्कार वितरित किए गए तो उनके चेहरे खिल उठे। रंग मंच हॉल तालियों से गूंज उठा। उस समय आसमान से हल्की सी बूंदें झरने लगीं। ऐसा लगा जैसे स्वयं इंद्रदेव कार्यक्रम पर प्रसन्नता व्यक्त कर रहे हों। कार्यक्रम प्रारंभ होते ही बच्चों ने सरदार भगत सिंह द्वारा जो अंग्रेज अफसर को गोली मारी गई थी, इसके लिए उन्हें फांसी की सजा दी गई थी। इस पूरे प्रकरण को अपनी भावांजलि देते हुए बच्चों ने बहुत ही अच्छे से नाटिका प्रस्तुत की जो प्रशंसनीय रही। उपस्थितों ने इस नाटिका साराहा।
‌ इस कार्यक्रम में बच्चों ने देशभक्ति,ऑपरेशन सिंदूर,नारी शक्ति, नारी उत्पीड़न, सामाजिक उत्पीड़न सामाजिक विद्रूपता विषयों पर आधारित सुंदर सुंदर रचनाओं से श्रोताओं का मन मोह लिया। जिसकी प्रतिध्वनि श्रोताओं की तालियों से पता चल रही थी। इस अवसर पर निर्णायकों, मंचासीन पदाधिकारियों ने अपने रोचक अभिभाषण के साथ बच्चों को संबोधित किया। पुरस्कार वितरण के बाद कार्यक्रम समाप्त हुआ।

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