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मंत्रियों में वरिष्ठ मुख्य मंत्री। मुख्य मंत्रियों में वरिष्ठ प्रधान मंत्री।।

होशियारपुर: 01 अक्टूबर,2025 (बूटा ठाकुर गढ़शंकर)
भारतीय संविधान बहुत ही सोच विचार और गहरे मंथन का स्वरूप है। जिसमें सामाजिक, आर्थिक, न्यायक, अपराधिक, संगठन, शिक्षा, नैतिकता, मीडिया और राजनीति इत्यादि का बहुत ही ऊमदे तरीके से प्रावधान किया गया है। समय समय पर शोध प्रक्रिया की भी व्यवस्था है पर घटिया राजनीति के चलते शोध व्यवस्था में बहुत सारी जटिलताएं पैदा हो जाती हैं। जिससे देश का विकास प्रभावित होता है।
देश के मुख्य मंत्री हों या प्रधान मंत्री, देश की खुशहाली और सार्वजनिक विकास हेतु इनमें आपसी तालमेल होना बहुत जरूरी है पर बदकिस्मती से हमारे देश में इसकी कमी शिखर पर है। जो प्रधान मंत्री बन जाता है उसकी निगाहें पूरे भारत के हर राज्य पर अपनी ही सरकार कायम करने में तन जाती हैं। उधर मुख्य मंत्रियों को प्रधान मंत्री से तालमेल बिठाने में हीन भावना नज़र आने लगती है। केंद्रीय योजनाओं का जनता को सीधे लाभ पहुंचाने में ढीला रवैया इस लिए अपनाते हैं कि इससे तो केन्द्र सरकार को वाहवाही मिल जाएगी और उक्त योजनाओं की राशी को दाएं बाएं खुर्द बुरद कर दिया जाता है। उधर केन्द्र सरकार भी उन राज्य में योजनाओं की रफ्तार धीमा कर देती है जिनमें उनकी अपनी सरकार नहीं है। उसको यह डर सताने लगता है कि बेगानी राज्य सरकार योजनाओं का नाजायज फायदा उठा कर गलत तरीके से अपना नाम चमका लेगी। इसी खींचातानी में वहां के आम लोगों को बहुत बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता है।
जबकि जरूरत है राज्य सरकारों और केन्द्र सरकार में आपसी तालमेल, दृढ़ विश्वास, पूरे देश के विकास, जन हित भलाई, इमानदारी और सबर संतोष की।
सबर संतोष से तात्पर्य यह है कि प्रधान मंत्री बन कर ऐसा सोचना कि हर राज्य में मेरी ही सरकार हो और मुख्य मंत्रियों द्वारा यह सपना पालना कि प्रधान मंत्री को डाउन फाल करके खुद प्रधान मंत्री बन जाऊं। सचमुच यही धारणा देश का बेड़ा गर्क कर रही है। कभी कोई नेता किसी दुसरे विरोधी नेता के अच्छे कामों की तारीफ ही नहीं करता बल्कि उन द्वारा किए गए अच्छे कामों की शवी तोड़ मरोड़ के जनता को बेवकूफ़ बनाने में हर कोशिश की जाती है। इनको सेना की कार्यशैली से सीखने की जरूरत है कि जिस तरह सेना में वरिष्ठ अधिकारी और जवानों के सही तालमेल से हर जंग जीती जाती है ठीक उसी तरह देश के विकास की जंग मुख्य मंत्रियों और प्रधान मंत्री के आपसी तालमेल से ही जीती जा सकती है। जो कोई भी चुनकर आए उसे उस पद पर संतोष होना चाहिए और संविधान की मर्यादा में रहकर इमानदारी से काम करना चाहिए।

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