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"10 रुपए वाला बिस्कुट का पैकेट कितने का है जी?" पिछले कई दिनों ये शादाब जकाती के वीडियो की ये लाइन बड़ी वायरल है। और शादाब जकाती भी। आज तो शादाब भाई इ

"10 रुपए वाला बिस्कुट का पैकेट कितने का है जी?" पिछले कई दिनों ये शादाब जकाती के वीडियो की ये लाइन बड़ी वायरल है। और शादाब जकाती भी। आज तो शादाब भाई इंस्टाग्राम पर हीरो हैं। बढ़िया लोकप्रियता मिल चुकी है इन्हें। मगर आज जो भी शादाब जकाती हैं, वो बनने की शुरुआत इन्होंने सालों पहले ही कर दी थी। 2017-18 में म्यूज़िकली नामक एक एप हुआ करती थी। उसी एप को बाद में टिक-टॉक ने खरीद लिया था। शादाब पहले म्यूज़िकली पर वीडियोज़ बनाते थे। और म्यूज़िकली पर वो कोई फनी वीडियोज़ नहीं, बल्कि अरबी भाषा की बेसिक जानकारी देने वाले वीडियोज़ बनाते थे। क्योंकि एक दिन इन्होंने देखा था कि गोरखपुर के एक युवक को उसका कफ़ील इसलिए डांट रहा था क्योंकि उसे कफ़ील की भाषा समझ में नहीं आ पाती थी। और वो कफ़ील के आदेशों का सही से पालन नहीं कर पाता था।

वो गोरखपुरिया युवक रो रहा था। उसे रोता देखकर ही शादाब जकाती ने सऊदी अरब नए-नए आने वाले लोगों की मदद करने के लिए अरबी भाषा के बेसिक शब्दों के अर्थ समझाने वाले वीडियोज़ बनाने शुरू किए थे। शादाब भी तब सऊदी अरब में रहते थे और ड्राइविंग करते थे। शादाब ने दस साल सऊदी अरब में ही गुज़ारे हैं। एक बार को तो इनके ऊपर इनके मालिकान द्वारा सख्ती कर दी गई थी। इन्हें सोशल मीडिया के लिए वीडियोज़ ना बनाने का फरमान सुना दिया गया था। मगर ये नहीं मानने। जैसे ही मौका मिलता, वीडियो बना लेते।

शादाब बताते हैं कि जब भारत में टिक-टॉक बैन हुआ था तब वो सऊदी में टिक-टॉक पर वही, अरबी भाषा को समझाने वाले वीडियोज़ बनाया करते थे। और वहां इन्हें अच्छी फॉलोइंग मिल गई थी। तकरीबन चार लाख फॉलोअर्स थे इनके टिक-टॉक पर। चूंकि तब लॉकडाउन लगा हुआ था तो शादाब के पास कुछ काम भी नहीं होता था। इसलिए वो तब वीडियोज़ ही बनाया करते थे।

लॉकडाउन खत्म होने के बाद जब शादाब जकाती भारत वापस आए तो उन्हें काफी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। बीमार हुए। कमर में दिक्कत हो गई। दो सालों तक बीमारी से जूझते रहे। इस दौरान आर्थिक तंगियां भी आई। जब थोड़ा ठीक हुए तो इंस्टाग्राम पर रील्स बनाना इन्होंने शुरू किए। शुरुआत में सभी ने इनका मज़ाक बनाया। इनके घर वालों ने भी इनसे कहा कि ये वीडियोज़ वगैरह छोड़ो और कोई काम करो। मगर जब आज शादाब हसन उर्फ़ शादाब जकाती मशहूर हो गए हैं तो वही लोग अब इनके आगे-पीछे घूमते हैं।

आज शादाब बढ़िया पैसे कमा रहे हैं। इन्हें भारत के अलग-अलग शहरों में होने वाले इवेंट्स में इनवाइट किया जाता है। कई डिजिटल विज्ञापनों में काम मिल रहा है। कुछ फ़िल्म वालों ने भी इनसे बात करने की कोशिश की है(जैसा कि शादाब ने एक इंटरव्यू में कहा है।) मगर फ़िल्मों में इनकी रूचि नहीं है। शादाब कहते हैं कि वो रील बनाकर ही खुश हैं। फ़िल्मों में तो वो काम नहीं करना चाहते।

शादाब के वीडियो में एक महिला इनके साथ नज़र आती है। बहुत लोगों को ये गलतफ़हमी होती है कि वो महिला शादाब जकाती की पत्नी हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। वो महिला शादाब के साथ सिर्फ़ वीडियो बनाती हैं। वो उनकी पत्नी नहीं हैं। एक इंटरव्यू में शादाब जी ने ये भी बताया कि उनके "दस रुपए का बिस्कुट का पैकेट" वाले वीडियो में जो व्यक्ति नज़र आता है, वो भी उनके साथ सिर्फ़ वीडियो बनाने के लिए ही आया था। वो उनके गांव का व्यक्ति नहीं हैं। गांव से याद आया, शादाब मेरठ के इंचौली के रहने वाले हैं। अनेकों बार इंचौली से गुज़रना हुआ है हमारा भी मवाना आने-जाने के दौरान। #shadabjakati #bhuvanbam

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