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माँ दुर्गा पीठ काली मंदिर विंढमगंज में नवरात्रि के नवमीं दिन भव्य महाप्रसाद का आयोजन


विंढमगंज, सोनभद्र।
आज दिनांक 1 अक्टूबर 2025 को माँ दुर्गा पीठ काली मंदिर, विंढमगंज के प्रांगण में नवरात्रि के नवें दिन भव्य महाप्रसाद भंडारे का आयोजन किया गया। इस विशेष आयोजन का नेतृत्व माँ काली दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष श्री रविशंकर जायसवाल ने किया।

गौरतलब है कि नवरात्रि के पहले दिन से ही माँ काली मंदिर में प्रतिदिन महाप्रसाद वितरण का कार्यक्रम चलता रहा, परंतु नवमीं तिथि का यह आयोजन सबसे अधिक भव्य और ऐतिहासिक रहा। आज लगभग 7 से 8 हजार श्रद्धालुओं ने महाप्रसाद ग्रहण किया। मंदिर परिसर में रात 9 बजे तक श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ रही कि एक-दूसरे को पहचानना कठिन हो गया। श्रद्धालुओं का कहना था कि यह दृश्य मानो स्वयं माँ दुर्गा का दिव्य आशीर्वाद हो, जिसने भक्तों को एक जगह एकत्र कर दिया हो।

भक्तों ने इस सफल आयोजन के लिए समिति और विशेषकर अध्यक्ष श्री रविशंकर जायसवाल का तहेदिल से आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष बनने के बाद इस वर्ष मंदिर परिसर में जो अनुशासन, भव्यता और धार्मिक माहौल देखने को मिला, वह अविस्मरणीय है। भक्तों ने इसे एक "यादगार पल" बताते हुए समिति के कार्यों की सराहना की

माँ काली मंदिर विंढमगंज का इतिहास अत्यंत प्राचीन और श्रद्धा से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि यह मंदिर कई दशकों पूर्व स्थानीय श्रद्धालुओं की आस्था और सामूहिक प्रयासों से स्थापित हुआ। ग्रामीणों की मान्यता है कि यहाँ माँ काली स्वयं विराजमान होकर अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।

प्राचीन काल में यह इलाका घने जंगलों से घिरा हुआ था। कहा जाता है कि यहाँ साधु-संत तपस्या करने आते थे और माँ काली की साधना से उन्हें सिद्धियां प्राप्त होती थीं। धीरे-धीरे स्थानीय लोगों ने इस स्थान को पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों के केंद्र के रूप में विकसित किया।

विंढमगंज की खासियत यह भी है कि यह क्षेत्र झारखंड और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित है। इसलिए यहाँ झारखंड और उत्तर प्रदेश दोनों राज्यों की संस्कृति का संगम देखने को मिलता है। नवरात्रि और अन्य पर्वों पर यहाँ की लोक परंपराएँ, भजन-कीर्तन और अखंड ज्योति पूरे वातावरण को आध्यात्मिक बना देते हैं।

विंढमगंज केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है। यह क्षेत्र सोनभद्र जिले के उन इलाकों में से एक है जहाँ आदिवासी संस्कृति और परंपराएँ आज भी जीवंत हैं। यहाँ के ग्रामीण लोग माँ दुर्गा और माँ काली को अपनी "ग्राम देवी" के रूप में पूजते हैं।

नवरात्रि के दौरान यहाँ का वातावरण एक अलग ही रूप ले लेता है। महिलाएँ पारंपरिक परिधानों में सजधज कर देवी की आराधना करती हैं, वहीं बच्चे और पुरुष भी भक्ति भाव से माँ की सेवा में जुट जाते हैं। इस बार के आयोजन ने विंढमगंज को पूरे क्षेत्र में चर्चा का केंद्र बना दिया।

आज के महाप्रसाद में शामिल भक्तों ने बताया कि माँ काली मंदिर परिसर में इतना सुंदर दृश्य वर्षों बाद देखने को मिला। भीड़ इतनी थी कि जगह-जगह श्रद्धालु माँ के जयकारे लगाते हुए दिख रहे थे। महाप्रसाद वितरण व्यवस्था इतनी सुव्यवस्थित थी कि भारी भीड़ के बावजूद सभी भक्तों ने समय पर प्रसाद ग्रहण किया।

श्रद्धालुओं ने एक स्वर में कहा कि माँ काली का यह आशीर्वाद और समिति की मेहनत हमेशा याद रखी जाएगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में भी इसी तरह भव्य और अनुशासित आयोजन होते रहेंगे।

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