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सरकार ने NCERT को सौंपी बोर्ड समतुल्यता की जिम्मेदारी

भारत सरकार ने स्कूल शिक्षा से जुड़े एक अहम सुधार की घोषणा की है। अब कक्षा 10 और 12 के प्रमाणपत्रों की समतुल्यता (Equivalence) तय करने का दायित्व भारतीय विश्वविद्यालय संघ (AIU) से हटाकर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) को सौंप दिया गया है। शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर से 6 सितंबर को जारी अधिसूचना में यह व्यवस्था लागू की गई है।

• क्यों अहम है यह फैसला?
अब देशभर के किसी भी मान्यता प्राप्त स्कूल बोर्ड — चाहे वह CBSE हो, ICSE, राज्य बोर्ड या फिर किसी अधिकृत निजी बोर्ड — से प्राप्त कक्षा 10 और 12 के प्रमाणपत्र पूरे भारत में समान रूप से मान्य होंगे। इससे छात्रों को उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों (केंद्र व राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के अधीन) में आवेदन करने के दौरान किसी अतिरिक्त समतुल्यता प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होगी।

• NCERT कैसे करेगा यह काम?
NCERT इस जिम्मेदारी का निर्वहन अपनी विशेष इकाई ‘परख’ (PARAKH – Performance Assessment, Review and Analysis of Knowledge for Holistic Development) के माध्यम से करेगा। ‘परख’ को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत स्थापित किया गया था और यह राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र के रूप में कार्य करता है।
इस संस्था का उद्देश्य देशभर के विभिन्न स्कूल बोर्डों की परीक्षा और मूल्यांकन प्रणाली को एक साझा और पारदर्शी ढांचे में लाना है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि सभी बोर्डों के प्रमाणपत्र शैक्षणिक दृष्टि से समान गुणवत्ता और मानक को दर्शाते हों।

• AIU से NCERT को जिम्मेदारी क्यों मिली?
गौरतलब है कि पहले यह दायित्व भारतीय विश्वविद्यालय संघ (AIU) के पास था। परंतु AIU मुख्य रूप से विश्वविद्यालय स्तर की डिग्रियों और विदेशी डिग्रियों की मान्यता तय करने पर केंद्रित संस्था है। स्कूल स्तर की समतुल्यता का विषय उसके दायरे से बाहर माना जा रहा था। ऐसे में, स्कूल शिक्षा में विशेषज्ञता रखने वाले NCERT को यह जिम्मेदारी सौंपना अधिक व्यावहारिक और तर्कसंगत कदम है।

• शिक्षा जगत पर असर
यह फैसला शिक्षा व्यवस्था में एकरूपता और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा। अब किसी भी बोर्ड का छात्र पूरे देश में अवसरों के मामले में समान स्थिति में होगा। उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ-साथ रोजगार की तैयारी करने वाले युवाओं को भी इसका सीधा लाभ मिलेगा।


"सरकार का यह कदम शिक्षा प्रणाली को अधिक एकीकृत और छात्र हितैषी बनाने की दिशा में एक बड़ा सुधार है। यह न केवल छात्रों के लिए अवसरों के द्वार खोलेगा, बल्कि शिक्षा और रोजगार की प्रक्रियाओं में जटिलता को भी कम करेगा।"

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