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पजका उडुपी कर्नाटका(नरेश कुमार स्वामी निंबार्क) चतु: संप्रदाय में वैष्णव बैरागी माधवाचार्य जी संप्रदाय है | आज माधवाचार्य जी की जन्म जयंती है |

विजयदशमी को बैरागी संत माधवाचार्य जी की जयंती आओ मिलकर मनाएं |

मैं और मास्टर जगदीश वैष्णव जी को मंदिर और आश्रम के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | मंदिर और आश्रम का वीडियो मैंने नीचे डाला है |

माधवाचार्य जी की जयन्ती के बारे में
माधवाचार्य (1238-1317 ई.) भक्ति आन्दोलन के महत्वपूर्ण सन्त एवं दार्शनिक थे। हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को श्री माधव जयन्ती अथवा माधवाचार्य जयन्ती के रूप में मनाया जाता है। श्री माधवाचार्य का जन्म 1238 ई. में, भारत में कर्णाटक राज्य के उडुपी के समीप पजाका नामक स्थान पर विजयादशमी के शुभः अवसर पर हुआ था। विजयादशमी को दशहरा के रूप में भी जाना जाता है।
पेशावर कर्नाटक में जन्म जन्म और तपस्या स्थल बद्रीनाथ धाम की | इतिहासकारों ने इनको कृष्ण का अवतार बताया है |

यह जयंती उनके अद्वितीय योगदान और द्वैतवाद दर्शन की स्मृति में मनाई जाती है। माधवाचार्य जी ने समाज को यह शिक्षा दी कि आत्मा और परमात्मा भिन्न हैं, और ईश्वर की भक्ति से ही मोक्ष प्राप्त हो सकता है। उनके द्वारा किए गए सामाजिक और धार्मिक सुधार आज भी प्रासंगिक हैं, इसलिए उनकी जयंती पूरे श्रद्धा-भाव से मनाई जाती है।

श्री माधवाचार्य जी भक्ति आन्दोलन के प्रमुख संत और द्वैत वेदांत के प्रवर्तक माने जाते हैं। इन्हें आनंदतीर्थ और पूर्णप्रज्ञ के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने एक धार्मिक सुधारक के रूप में काम किया और सनातन धर्म ग्रंथों का प्रचार-प्रसार किया। माधवाचार्य जी का जन्म विजयादशमी के पावन अवसर पर हुआ था। इसलिए उनके सम्मान में हर साल विजयादशमी को उनकी जयंती मनाई जाती है। आइए जानते हैं कि माधवाचार्य का जीवन कैसा था और उन्होंने भारतीय संस्कृति के उत्थान के लिए क्या-क्या कार्य किए।

माधवाचार्य जयंती का महत्व
यह दिन द्वैत दर्शन के प्रचार-प्रसार को याद करने का अवसर है।
माधवाचार्य जी ने यज्ञों में होने वाली पशुबलि का विरोध किया और समाज सुधार के लिए आवाज उठाई।
उनकी शिक्षाएँ आज भी भक्ति, धर्म और सदाचार के पालन के लिए प्रेरित करती हैं।
यह जयंती ज्ञान, भक्ति और धर्म के समन्वय का प्रतीक मानी जाती है।
कौन थे माधवाचार्य?
जन्म: 1238 ईस्वी, पजका गाँव (उडुपी, कर्नाटक) उपनाम: आनंदतीर्थ, पूर्णप्रज्ञ दर्शन: द्वैत वेदांत अनुयायी: मुख्य रूप से विष्णु भक्त, विशेषकर उडुपी कृष्ण मंदिर से जुड़े हुए।

माना जाता है कि माधवाचार्य जी वायु देव के तृतीय अवतार थे। हनुमान और भीम उनके प्रथम और द्वितीय अवतार कहे जाते हैं।

नरेश कुमार स्वामी निंबार्क
रामनगर गन्नौर सोनीपत हरियाणा

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