लाल बहादुर शास्त्री जयंती
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🌸🇮🇳 सच्चे देशभक्त 🇮🇳🌸
🇮🇳🌸लाल बहादुर शास्त्री जयंती 🇮🇳🌸
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१ – सादगी की प्रतिमा
कद छोटा पर दृष्टि बड़ी,
सादगी उनकी जग में खड़ी।
ईमानदारी जीवन मान,
भारत का अभिमान महान।
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२ – तपस्या का प्रकाश
त्याग तपस्या जीवन सार,
शास्त्री जी का उज्ज्वल द्वार।
नहीं मोह वैभव, धन-मान,
जनसेवा ही था प्रधान।
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३ – जय जवान जय किसान
जय जवान का दिया पुकार,
जय किसान का जग में द्वार।
सेना, खेत दोनों महान,
भारत बना दृढ़, अभिमान।
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४ – कठिन समय का सहारा
नेहरू के बाद दिया सहारा,
देश संभाला अद्भुत प्यारा।
कठिन घड़ी में दिखा उजास,
भारत माँ के बने प्रकाश।
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५ – रण के शेर
१९६५ का रण प्रचंड,
शास्त्री जी का साहस अखंड।
सेना ने जग में लहराया,
भारत का परचम फहराया।
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६ – किसान के मित्र
किसानों का विश्वास जगाया,
हर खेत में स्वाभिमान बढ़ाया।
हल और हलधर की पहचान,
भारत की शान, किसान महान।
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७ – निर्मल आचरण
सादगी जिनका श्रृंगार,
त्याग था जीवन का आधार।
न झूठ छल, न दिखावा काम,
शुद्ध हृदय थे, निर्मल नाम।
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८ – अनुशासन प्रिय
अनुशासन से देश सँवारा,
कठिनाई को अवसर माना।
जनसेवा ही पूजा मान,
राष्ट्रसेवक कहलाए जान।
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९ – गंगा सा मन, शेर सा साहस
गंगा जैसा निर्मल मन,
सिंह समान था उनका धन।
साहस की मिसाल बने,
भारत माँ के लाल बने।
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१० – कुर्सी का मोह नहीं
कभी न कुर्सी की लालसा,
न ही धन दौलत की आशा।
देश ही उनका धर्म महान,
जनता का ही था सम्मान।
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११ – संकट में दीप
लहराई जब संकट छाया,
शास्त्री ने साहस दिखलाया।
जनबल संग अडिग खड़े,
शौर्य भरे वह कर्म बड़े।
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१२ – सच्चे राष्ट्रनायक
राष्ट्रनायक कहलाए सच्चे,
देशभक्ति जिनके रग-रग में अच्छे।
श्रम और नीति से बढ़ता मान,
भारत गाता उनका गान।
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१३ – जननायक का स्वरूप
वो जननायक, सच्चा स्वरूप,
शक्ति, सादगी, त्याग का रूप।
जनता में जग विश्वास जगाया,
भारत का मान ऊँचा बढ़ाया।
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१४ – न्यायप्रिय नेतृत्व
न झुके अन्याय के आगे,
साहस से खड़े थे भागे।
न्याय, सत्य जिनके साथी रहे,
शास्त्री अमर हैं, सदा सहे।
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१५ – अमर गाथा
शास्त्री जी अमर कथा महान,
भारत करता सदा सम्मान।
त्याग-बलिदान की ज्योति जली,
हर दिल में उनकी गाथा चली।
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✒️ यह मौलिक रचना कवि -: सुरेश पटेल 'सुरेश'🖌️🖌️ की है, किसी अन्य कवि की कृति से ली हुई नहीं है।